भक्ति योग – स्वामी विवेकानंद /Bhakti Yoga by Swami Vivekananda

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भक्ति योग – स्वामी विवेकानंद

“भक्ति योग” स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें उन्होंने भक्ति (श्रद्धा और प्रेम) को आत्मा की मुक्ति का मार्ग बताया है। यह पुस्तक योग के चार मुख्य मार्गों (भक्ति योग, कर्म योग, ज्ञान योग और राज योग) में से एक पर केंद्रित है और भक्ति के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति के मार्ग को विस्तार से समझाती है।

पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ

भक्ति योग का परिचय – स्वामी विवेकानंद ने भक्ति योग को प्रेम और श्रद्धा का मार्ग बताया है, जिसमें व्यक्ति पूर्ण समर्पण के साथ ईश्वर से जुड़ता है।

भक्ति के विभिन्न स्तर – इसमें भक्ति के विभिन्न चरणों को समझाया गया है, जैसे बाह्य पूजन से लेकर अंतर्मुखी भक्ति तक का सफर

भक्ति के लिए आवश्यक गुण – स्वामी विवेकानंद बताते हैं कि शुद्ध हृदय, निःस्वार्थ प्रेम, और समर्पण भाव भक्ति योग के लिए आवश्यक हैं।

साकार और निराकार भक्ति – उन्होंने साकार ईश्वर (भगवान की मूर्ति या रूप) और निराकार ब्रह्म (अद्वैत) के सिद्धांतों को स्पष्ट किया है और बताया है कि दोनों ही मार्ग भक्ति योग में सहायक हैं

निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण – इस पुस्तक में मीरा बाई, हनुमान और अन्य भक्तों के उदाहरणों के माध्यम से समझाया गया है कि सच्ची भक्ति किसी स्वार्थ के बिना होती है

यह पुस्तक क्यों पढ़ें?

भक्ति और आध्यात्म का गहन ज्ञान – यह पुस्तक भक्ति के वास्तविक अर्थ और महत्व को समझने में मदद करती है
आस्तिकता और श्रद्धा को बढ़ावा – यह ईश्वर में विश्वास और भक्ति को मजबूत करती है
सभी धर्मों के लिए उपयुक्त – स्वामी विवेकानंद ने भक्ति को किसी एक धर्म से नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता से जोड़ा है
नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति – यह नम्रता, सेवा और प्रेम का संदेश देती है

Description

भक्ति योग – स्वामी विवेकानंद

“भक्ति योग” स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें उन्होंने भक्ति (श्रद्धा और प्रेम) को आत्मा की मुक्ति का मार्ग बताया है। यह पुस्तक योग के चार मुख्य मार्गों (भक्ति योग, कर्म योग, ज्ञान योग और राज योग) में से एक पर केंद्रित है और भक्ति के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति के मार्ग को विस्तार से समझाती है।

पुस्तक की मुख्य विशेषताएँ

भक्ति योग का परिचय – स्वामी विवेकानंद ने भक्ति योग को प्रेम और श्रद्धा का मार्ग बताया है, जिसमें व्यक्ति पूर्ण समर्पण के साथ ईश्वर से जुड़ता है।

भक्ति के विभिन्न स्तर – इसमें भक्ति के विभिन्न चरणों को समझाया गया है, जैसे बाह्य पूजन से लेकर अंतर्मुखी भक्ति तक का सफर

भक्ति के लिए आवश्यक गुण – स्वामी विवेकानंद बताते हैं कि शुद्ध हृदय, निःस्वार्थ प्रेम, और समर्पण भाव भक्ति योग के लिए आवश्यक हैं।

साकार और निराकार भक्ति – उन्होंने साकार ईश्वर (भगवान की मूर्ति या रूप) और निराकार ब्रह्म (अद्वैत) के सिद्धांतों को स्पष्ट किया है और बताया है कि दोनों ही मार्ग भक्ति योग में सहायक हैं

निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण – इस पुस्तक में मीरा बाई, हनुमान और अन्य भक्तों के उदाहरणों के माध्यम से समझाया गया है कि सच्ची भक्ति किसी स्वार्थ के बिना होती है

यह पुस्तक क्यों पढ़ें?

भक्ति और आध्यात्म का गहन ज्ञान – यह पुस्तक भक्ति के वास्तविक अर्थ और महत्व को समझने में मदद करती है
आस्तिकता और श्रद्धा को बढ़ावा – यह ईश्वर में विश्वास और भक्ति को मजबूत करती है
सभी धर्मों के लिए उपयुक्त – स्वामी विवेकानंद ने भक्ति को किसी एक धर्म से नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता से जोड़ा है
नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति – यह नम्रता, सेवा और प्रेम का संदेश देती है

निष्कर्ष

“भक्ति योग” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि ईश्वर से जुड़ने और जीवन को प्रेम, श्रद्धा और समर्पण के मार्ग पर चलाने की एक अद्भुत विधि है। स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा लेकर कोई भी भक्ति मार्ग को अपनाकर आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है

Bhakti Yoga by Swami Vivekananda

“Bhakti Yoga” is one of the four main yogic paths described by Swami Vivekananda, alongside Karma Yoga, Jnana Yoga, and Raja Yoga. In this book, Swami Vivekananda explores the philosophy of devotion (Bhakti) as a means to attain the highest spiritual realization. He explains how love for the Divine, when practiced with sincerity and dedication, leads to liberation (Moksha).

Key Themes of the Book

Definition and Importance of Bhakti Yoga – Swami Vivekananda describes Bhakti Yoga as the path of pure love and devotion to God, where the devotee surrenders completely.

Different Stages of Bhakti – The book explains various stages of devotion, from external worship (rituals) to internal realization of God’s presence in everything.

Preparation for Bhakti Yoga – He emphasizes the importance of purity of heart, selflessness, and surrender in practicing Bhakti Yoga.

Personal God vs. Impersonal Brahman – Swami Vivekananda beautifully reconciles the dualistic (Dvaita) and non-dualistic (Advaita) approaches to Bhakti, explaining how devotion can lead to the realization of the ultimate Truth.

The Power of Divine Love – True Bhakti is selfless, unconditional, and beyond all expectations, much like the pure love of saints and great devotees like Mirabai and Hanuman.

Why Read This Book?

Deepens Spiritual Understanding – Helps in understanding the true essence of devotion and love for God.
Practical Guidance for Devotees – Offers practical methods to develop devotion and strengthen faith.
Unites All Religious Paths – Shows that Bhakti Yoga is universal, beyond religious boundaries.
Encourages a Life of Love and Surrender – Inspires readers to live a life of humility, service, and divine love.

Conclusion

“Bhakti Yoga” by Swami Vivekananda is an essential read for spiritual seekers who wish to understand the true meaning of devotion and love for God. It provides a clear and practical guide to developing Bhakti as a path to self-realization and ultimate freedom.

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