ब्रज बिनोद/ Braj Vinod

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Description

हिंदी साहित्य का मध्यकाल भी कृष्ण भक्ति एवं कृष्ण राधा शुन्ध्ये की विकास गाथा का परिचय हे भक्ति काल में अस्त्यम् के पिर्तिकृष्ण भक्त आठो कबि हे या

“ब्रज बिनोद” एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “ब्रज में खेलनेवाला” या “ब्रज में आनंद लेनेवाला”। यह शब्द साहित्यिक संदर्भ में उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से भारतीय साहित्य में।

ब्रज बिनोद का उल्लेख अक्सर भक्ति साहित्य में किया जाता है, खासकर कृष्ण भक्ति संबंधित काव्य या गीतों में। ब्रज भूमि, जो कृष्ण के जन्मस्थल मथुरा के पास स्थित है, उसके परिसर में हुए लीलाओं को बयान करते हुए ये काव्य या गीत ब्रज बिनोद कहलाते हैं। ये काव्य और गीत कृष्ण भक्ति, प्रेम, और भगवान की लीलाओं का आनंद उनके भक्तों के साथ साझा करते हैं।

इस शब्द का उपयोग भारतीय संस्कृति और साहित्य के परिसर में ही सीमित नहीं है, बल्कि ये भारतीय धर्म और साहित्य की आध्यात्मिक धारा के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण अवधारणा हैं।

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