Description
“ब्रज भाव” एक सुंदर और भावमयी भक्ति ग्रंथ है, जिसे महान संतवाणी संकलक श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार जी ने संपादित किया है। श्री पोद्दार जी गीताप्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और उन्होंने जीवन भर भारतीय आध्यात्मिकता, संस्कृति और भक्ति के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य किया। उनकी संपादनशैली में गूढ़ विषय भी सहजता से हृदय तक पहुँचते हैं।
यह पुस्तक ब्रजभूमि के भाव, भक्ति और प्रेम का जीवंत चित्रण है — जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल की लीलाएं, गोपियों के साथ रास और श्रीराधा के साथ दिव्य प्रेम का अवतरण किया। इस ग्रंथ में न केवल ब्रज की लीलाओं का वर्णन है, बल्कि उन लीलाओं में छिपे भावतत्त्व और आध्यात्मिक संदेश भी निहित हैं।
मुख्य विषयवस्तु:
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ब्रज की महिमा और स्वरूप:
ब्रज को केवल एक स्थान न मानकर, भावों की भूमि के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यहाँ का प्रत्येक कण श्रीकृष्ण की लीलाओं से ओतप्रोत है। -
राधा-कृष्ण का माधुर्य भाव:
राधा और कृष्ण का मिलन सांसारिक प्रेम नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा का आध्यात्मिक संगम है। इनकी लीलाओं के माध्यम से पाठक को भक्ति, समर्पण और दिव्य प्रेम का बोध होता है। -
गोपियों की अनुपम भक्ति:
गोपियाँ भक्ति की चरमसीमा हैं। उनका प्रेम निःस्वार्थ और निश्छल है। यह पुस्तक उनके चरित्र के माध्यम से यह सिखाती है कि ईश्वर को पाने के लिए कैसा समर्पण चाहिए। -
विविध भक्ति-भाव (दास्य, सख्य, माधुर्य):
भक्त और भगवान के संबंध के विविध रूपों को बड़े सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। विशेष रूप से ‘माधुर्य भाव’ का विस्तार इस पुस्तक का हृदय है। -
रस और तत्त्व की व्याख्या:
श्रीकृष्ण को रसराज कहते हैं — क्योंकि वे प्रेम और भक्ति के सबसे गहरे भावों को प्रकट करते हैं। पुस्तक में इस विषय को शास्त्रीय शैली में परंतु सरल भाषा में समझाया गया है।
हनुमानप्रसाद पोद्दार जी ने इस पुस्तक को केवल एक साहित्यिक ग्रंथ के रूप में नहीं, बल्कि एक भक्ति के साधन के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने विभिन्न संतों, भक्त कवियों और शास्त्रीय ग्रंथों से भावपूर्ण प्रसंग, पद, श्लोक और कथाएं एकत्र कर ‘ब्रज भाव’ की आत्मा को इस पुस्तक में बाँध दिया है। उनकी लेखनी सरल, सजीव और मन को छूने वाली है।
पाठकों के लिए उपयोगिता:
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यह पुस्तक राधा-कृष्ण भक्तों के लिए अत्यंत भावविभोर अनुभव देने वाली है।
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साधना पथ पर चल रहे पाठकों के लिए इसमें भाव, समर्पण और प्रेम का प्रोत्साहन है।
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काव्य और रसिक भक्ति में रुचि रखने वालों के लिए यह एक अनमोल संग्रह है।
निष्कर्ष:
“ब्रज भाव” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि ब्रज के दिव्य प्रेम का साक्षात्कार है। श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार जी द्वारा संपादित यह ग्रंथ पाठक के हृदय में श्रीकृष्ण और श्रीराधा के प्रति मधुर, निश्छल और निष्काम भक्ति की भावना जाग्रत करता है। इसका पाठ एक भाव-स्नान के समान है, जिसमें डूबकर साधक ब्रज की उस दिव्यता को अनुभव कर सकता है, जो केवल प्रेमियों के लिए खुलती है।
Additional information
Weight | 0.2 g |
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