बृज के छ: संप्रदाय/ Braj ke 6 Sampradaya

130.00

Description

 इस पुस्तक में छः सम्प्रदायों का वर्णन किया गया हैं।
1 श्री रामानुज सम्प्रदाय
2 श्री निम्वार्क सम्प्रदाय
3 श्री माध्व सम्प्रदाय
4 श्री राधावल्लभ सम्प्रदाय
5 श्री रामानंद सम्प्रदाय
6 श्री गौडीय सम्प्रदाय
 

 

वल्लभ सम्प्रदाय भक्ति का एक संप्रदाय है, जिसकी स्थापना महाप्रभु वल्लभाचार्य ने की थी। इसे ‘वल्लभ संप्रदाय’ या ‘वल्लभ मत’ भी कहते हैं। चैतन्य महाप्रभु से भी पहले ‘पुष्टिमार्ग’ के संस्थापक वल्लभाचार्य श्री राधा जी की पूजा करते थे, जहाँ कुछ संप्रदायों के अनुसार, भक्तों की पहचान राधा की सहेलियों (सखी) के रूप में होती है, जिन्हें राधा-कृष्ण के लिए अंतरंग व्यवस्था करने के लिए विशेषाधिकार प्राप्त होता है।
षड्गोस्वामी (छः गोस्वामी) से आशय छः गोस्वामियों से है जो वैष्णव भक्त, कवि एवं धर्मप्रचारक थे। इनका कार्यकाल १५वीं तथा १६वीं शताब्दी था। वृन्दावन उनका कार्यकेन्द्र था। चैतन्य महाप्रभु ने जिस गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय की आधारशिला रखी गई थी, उसके संपोषण में उनके षण्गोस्वामियों की अत्यंत अहम् भूमिका रही। इन सभी ने भक्ति आंदोलन को व्यवहारिक स्वरूप प्रदान किया। साथ ही वृंदावन के सप्त देवालयों के माध्यम से विश्व में आध्यात्मिक चेतना का प्रसार किया।

Additional information

Weight 0.3 kg

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.