बच्चों की माँ – शारदा देवी / Bachon-ki-Maa-Sarada-Devi

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शारदा देवी (1853-1920) भारत की एक महान संत थीं, जिन्हें श्री रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक संगिनी और भक्तों की माँ के रूप में जाना जाता है। वे न केवल श्री रामकृष्ण की पत्नी थीं, बल्कि एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थीं, जिन्होंने प्रेम, सहानुभूति और सेवा का संदेश दिया।

शारदा देवी को उनके अनुयायी “माँ” कहकर पुकारते थे। उनका जीवन सादगी, धैर्य और करुणा का प्रतीक था। वे हर व्यक्ति को अपने बच्चे की तरह मानती थीं, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या पंथ से संबंधित हो। उनका कहना था, “अगर कोई मुझसे मदद माँगे और मैं उसकी सहायता न करूँ, तो मेरी माँ कहलाने का क्या अर्थ?”

श्री रामकृष्ण परमहंस के महाप्रयाण के बाद, उन्होंने अपने भक्तों को आध्यात्मिक शिक्षा और आशीर्वाद देना जारी रखा। उन्होंने हमेशा सरल जीवन जीने और दूसरों की सेवा करने का संदेश दिया। उनके विचारों और शिक्षाओं को रामकृष्ण मठ और मिशन के माध्यम से आगे बढ़ाया गया।

आज भी, शारदा देवी की शिक्षाएँ लाखों लोगों को प्रेम, धैर्य और आत्मसमर्पण की राह दिखाती हैं। उन्हें सही मायने में “बच्चों की माँ कहा जा सकता है क्योंकि वे समस्त मानवता को अपने पुत्र के समान मानती थीं।

Description

 Sarada Devi

Sarada Devi (1853–1920) was a great saint of India, revered as the spiritual consort of Sri Ramakrishna Paramahamsa and as the “Holy Mother” by her devotees. She was not only the wife of Sri Ramakrishna but also a spiritual guide who spread the message of love, compassion, and selfless service.

Sarada Devi was affectionately called “Mother” by her followers. Her life was a symbol of simplicity, patience, and kindness. She treated every person like her own child, regardless of their caste, religion, or background. She once said, “If someone seeks help from me and I do not respond, then what is the use of calling me Mother?”

After Sri Ramakrishna’s passing, she continued to guide his devotees with her spiritual wisdom and blessings. She emphasized living a simple life and serving others selflessly. Her teachings and values were carried forward through the Ramakrishna Math and Mission.

Even today, Sarada Devi’s teachings inspire millions, showing them the path of love, patience, and surrender. She is truly called the “Mother of Children as she considered all of humanity as her own children

बच्चों की माँ – शारदा देवी

शारदा देवी (1853-1920) भारत की एक महान संत थीं, जिन्हें श्री रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक संगिनी और भक्तों की माँ के रूप में जाना जाता है। वे न केवल श्री रामकृष्ण की पत्नी थीं, बल्कि एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थीं, जिन्होंने प्रेम, सहानुभूति और सेवा का संदेश दिया।

शारदा देवी को उनके अनुयायी “माँ” कहकर पुकारते थे। उनका जीवन सादगी, धैर्य और करुणा का प्रतीक था। वे हर व्यक्ति को अपने बच्चे की तरह मानती थीं, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या पंथ से संबंधित हो। उनका कहना था, “अगर कोई मुझसे मदद माँगे और मैं उसकी सहायता न करूँ, तो मेरी माँ कहलाने का क्या अर्थ?”

श्री रामकृष्ण परमहंस के महाप्रयाण के बाद, उन्होंने अपने भक्तों को आध्यात्मिक शिक्षा और आशीर्वाद देना जारी रखा। उन्होंने हमेशा सरल जीवन जीने और दूसरों की सेवा करने का संदेश दिया। उनके विचारों और शिक्षाओं को रामकृष्ण मठ और मिशन के माध्यम से आगे बढ़ाया गया।

आज भी, शारदा देवी की शिक्षाएँ लाखों लोगों को प्रेम, धैर्य और आत्मसमर्पण की राह दिखाती हैं। उन्हें सही मायने में “बच्चों की माँ कहा जा सकता है क्योंकि वे समस्त मानवता को अपने पुत्र के समान मानती थीं।

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