पावहरी बाबा/Pavhari-Baba

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पावहरी बाबा और स्वामी विवेकानंद 

पावहरी बाबा का परिचय:

पावहरी बाबा 19वीं शताब्दी के एक महान योगी, साधक और संत थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पास हुआ था। वे अत्यंत रहस्यवादी और साधना-निष्ठ तपस्वी थे। उनका जीवन पूरी तरह से योग और ध्यान में लीन था। वे अधिकतर समय एक गुफा में रहते थे और बहुत कम लोगों से मिलते थे।

“पावहरी” शब्द का अर्थ है — ‘हवा (वायु) का भोजन करने वाले’। ऐसा कहा जाता है कि पावहरी बाबा कई वर्षों तक केवल वायु (प्राणायाम) से ही जीवित रहते थे।


स्वामी विवेकानंद और पावहरी बाबा का संबंध:

स्वामी विवेकानंद अपने गुरुदेव श्री रामकृष्ण परमहंस के महासमाधि के बाद भारत भ्रमण पर निकले थे। वे संतों और महापुरुषों से मिलकर आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहते थे। इसी क्रम में वे पावहरी बाबा से मिलने गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) गए।

स्वामी विवेकानंद पावहरी बाबा से अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने पावहरी बाबा से दीक्षा लेने की भी इच्छा जताई थी। लेकिन पावहरी बाबा ने विनम्रता से उन्हें रामकृष्ण परमहंस को ही उनका सच्चा गुरु बताया और उन्हें दीक्षा देने से मना कर दिया।


पावहरी बाबा की विशेषताएँ:

  • अत्यधिक योग शक्ति वाले साधक

  • वायु सेवन कर जीवित रहना

  • गुफा में निवास

  • निर्लिप्त और त्यागी जीवन

  • राम नाम का निरंतर जप

  • गहरी समाधि अवस्था में रहना


स्वामी विवेकानंद की श्रद्धा:

स्वामी विवेकानंद ने पावहरी बाबा को अत्यंत सम्मान दिया और अपने जीवन में उन्हें एक महान साधक और संत के रूप में स्वीकारा। पावहरी बाबा से मिलना उनके आध्यात्मिक जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना थी।

Description

Pavhari Baba & Swami Vivekananda

Who was Pavhari Baba?

Pavhari Baba was a great yogi, saint, and mystic of 19th-century India. He lived near Ghazipur, Uttar Pradesh. The word “Pavhari” means “one who lives on air”. It is believed that Pavhari Baba practiced such deep meditation and pranayama (breath control) that he could survive for long periods only on air, without food.

He was a highly ascetic monk who spent most of his time in a cave, engaged in meditation and spiritual practices. He rarely came out and met very few people.


Swami Vivekananda and Pavhari Baba:

After the death of his Guru, Sri Ramakrishna Paramhansa, Swami Vivekananda traveled across India in search of knowledge and great spiritual souls. During his travels, he came to know about Pavhari Baba and went to meet him in Ghazipur.

Swami Vivekananda was deeply impressed by Pavhari Baba’s spiritual aura, simplicity, and high state of renunciation. He even requested Pavhari Baba to initiate him (give him spiritual initiation). But Pavhari Baba, in all humility, refused and told Swami Vivekananda that his true Guru was none other than Sri Ramakrishna himself.


  Pavhari Baba:

  • Mastery over Yoga and Meditation

  • Living in solitude in a cave

  • Feeding on air through yogic powers

  • Constant repetition of God’s name

  • Highly detached and renounced life

  • Deep state of Samadhi (spiritual absorption)


Swami Vivekananda’s Respect for Pavhari Baba:

Swami Vivekananda always remembered Pavhari Baba with great reverence. Their meeting is considered a beautiful moment of spiritual connection between two great souls of India. Swami Vivekananda regarded Pavhari Baba as a living example of complete renunciation, yoga, and devotion

पावहरी बाबा और स्वामी विवेकानंद 

पावहरी बाबा का परिचय:

पावहरी बाबा 19वीं शताब्दी के एक महान योगी, साधक और संत थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पास हुआ था। वे अत्यंत रहस्यवादी और साधना-निष्ठ तपस्वी थे। उनका जीवन पूरी तरह से योग और ध्यान में लीन था। वे अधिकतर समय एक गुफा में रहते थे और बहुत कम लोगों से मिलते थे।

“पावहरी” शब्द का अर्थ है — ‘हवा (वायु) का भोजन करने वाले’। ऐसा कहा जाता है कि पावहरी बाबा कई वर्षों तक केवल वायु (प्राणायाम) से ही जीवित रहते थे।


स्वामी विवेकानंद और पावहरी बाबा का संबंध:

स्वामी विवेकानंद अपने गुरुदेव श्री रामकृष्ण परमहंस के महासमाधि के बाद भारत भ्रमण पर निकले थे। वे संतों और महापुरुषों से मिलकर आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहते थे। इसी क्रम में वे पावहरी बाबा से मिलने गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) गए।

स्वामी विवेकानंद पावहरी बाबा से अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने पावहरी बाबा से दीक्षा लेने की भी इच्छा जताई थी। लेकिन पावहरी बाबा ने विनम्रता से उन्हें रामकृष्ण परमहंस को ही उनका सच्चा गुरु बताया और उन्हें दीक्षा देने से मना कर दिया।


पावहरी बाबा की विशेषताएँ:

  • अत्यधिक योग शक्ति वाले साधक

  • वायु सेवन कर जीवित रहना

  • गुफा में निवास

  • निर्लिप्त और त्यागी जीवन

  • राम नाम का निरंतर जप

  • गहरी समाधि अवस्था में रहना


स्वामी विवेकानंद की श्रद्धा:

स्वामी विवेकानंद ने पावहरी बाबा को अत्यंत सम्मान दिया और अपने जीवन में उन्हें एक महान साधक और संत के रूप में स्वीकारा। पावहरी बाबा से मिलना उनके आध्यात्मिक जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना थी।

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