परम साधन -भाग-2/ Param Sadhan- Bhag-2

25.00

“परम साधन – भाग 2 पूज्य जयदयाल गोयन्दका जी की एक अत्यंत गूढ़, प्रेरणादायी और शास्त्रसम्मत आध्यात्मिक कृति है। यह पुस्तक विशेष रूप से साधकों (spiritual aspirants) के लिए लिखी गई है जो आत्मोन्नति, भक्ति और मोक्ष की ओर अग्रसर होना चाहते हैं।

पुस्तक में भक्ति, ज्ञान, ध्यान, वैराग्य और ईश्वर प्राप्ति जैसे विषयों पर अत्यंत सरल, तार्किक और अनुभवसिद्ध रूप से विवेचन किया गया है।


🕉️ मुख्य विषय-वस्तु / 

  1. ईश्वर प्राप्ति का मार्ग – परम साधन:
    मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य परमात्मा की प्राप्ति है, और उसके लिए कौन-से साधन श्रेष्ठ हैं, इसका विस्तार से वर्णन है।

  2. भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की साधना:
    पुस्तक बताती है कि कैसे भक्ति के साथ-साथ ज्ञान और वैराग्य की आवश्यकता है, जिससे मन स्थिर हो और आत्मा शुद्ध हो।

  3. साधक के लिए व्यवहारिक मार्गदर्शन:
    एक साधक को दिनचर्या कैसी रखनी चाहिए, विचार और व्यवहार कैसा होना चाहिए – इसका विशद वर्णन किया गया है।

  4. शुद्धि और मनोनिग्रह:
    मन को वासनाओं से मुक्त कर ईश्वर में स्थिर करने की विधियाँ दी गई हैं। साधना के लिए मानसिक शुद्धता को अत्यंत आवश्यक बताया गया है।

  5. वेद, उपनिषद और गीता पर आधारित विचार:
    पूरे ग्रंथ में शास्त्रों का भरपूर संदर्भ है – जिससे यह पुस्तक न केवल प्रेरक, बल्कि प्रमाणिक भी बनती है।


📚 पुस्तक की विशेषताएं /

  • सरल, भक्तिपूर्ण एवं स्पष्ट भाषा

  • शास्त्र आधारित और तात्त्विक विवेचन

  • साधकों के लिए उपयोगी सूत्र, नियम और अभ्यास

  • गहन चिंतन और आत्मविश्लेषण हेतु उपयुक्त ग्रंथ


🙏 पाठकों के लिए उपयुक्त:

  • साधक एवं आध्यात्मिक पथ के जिज्ञासु

  • भक्ति, योग, ध्यान और मोक्ष मार्ग के अनुयायी

  • गीता और वेदांत दर्शन में रुचि रखने वाले

  • संयम और आंतरिक उन्नति चाहने वाले पाठक


🎯 पुस्तक का उद्देश्य:

जीवन को आत्मोन्मुख बनाकर परमात्मा की प्राप्ति के मार्ग को सरल, व्यावहारिक और सिद्ध रूप में प्रस्तुत करना – यही इस ग्रंथ का लक्ष्य है। यह साधक के लिए एक दीपस्तंभ की भांति कार्य करता है।

Description

“परम साधन – भाग 2 पूज्य जयदयाल गोयन्दका जी की एक अत्यंत गूढ़, प्रेरणादायी और शास्त्रसम्मत आध्यात्मिक कृति है। यह पुस्तक विशेष रूप से साधकों (spiritual aspirants) के लिए लिखी गई है जो आत्मोन्नति, भक्ति और मोक्ष की ओर अग्रसर होना चाहते हैं।

पुस्तक में भक्ति, ज्ञान, ध्यान, वैराग्य और ईश्वर प्राप्ति जैसे विषयों पर अत्यंत सरल, तार्किक और अनुभवसिद्ध रूप से विवेचन किया गया है।


🕉️ मुख्य विषय-वस्तु / 

  1. ईश्वर प्राप्ति का मार्ग – परम साधन:
    मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य परमात्मा की प्राप्ति है, और उसके लिए कौन-से साधन श्रेष्ठ हैं, इसका विस्तार से वर्णन है।

  2. भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की साधना:
    पुस्तक बताती है कि कैसे भक्ति के साथ-साथ ज्ञान और वैराग्य की आवश्यकता है, जिससे मन स्थिर हो और आत्मा शुद्ध हो।

  3. साधक के लिए व्यवहारिक मार्गदर्शन:
    एक साधक को दिनचर्या कैसी रखनी चाहिए, विचार और व्यवहार कैसा होना चाहिए – इसका विशद वर्णन किया गया है।

  4. शुद्धि और मनोनिग्रह:
    मन को वासनाओं से मुक्त कर ईश्वर में स्थिर करने की विधियाँ दी गई हैं। साधना के लिए मानसिक शुद्धता को अत्यंत आवश्यक बताया गया है।

  5. वेद, उपनिषद और गीता पर आधारित विचार:
    पूरे ग्रंथ में शास्त्रों का भरपूर संदर्भ है – जिससे यह पुस्तक न केवल प्रेरक, बल्कि प्रमाणिक भी बनती है।


📚 पुस्तक की विशेषताएं /

  • सरल, भक्तिपूर्ण एवं स्पष्ट भाषा

  • शास्त्र आधारित और तात्त्विक विवेचन

  • साधकों के लिए उपयोगी सूत्र, नियम और अभ्यास

  • गहन चिंतन और आत्मविश्लेषण हेतु उपयुक्त ग्रंथ


🙏 पाठकों के लिए उपयुक्त:

  • साधक एवं आध्यात्मिक पथ के जिज्ञासु

  • भक्ति, योग, ध्यान और मोक्ष मार्ग के अनुयायी

  • गीता और वेदांत दर्शन में रुचि रखने वाले

  • संयम और आंतरिक उन्नति चाहने वाले पाठक


🎯 पुस्तक का उद्देश्य:

जीवन को आत्मोन्मुख बनाकर परमात्मा की प्राप्ति के मार्ग को सरल, व्यावहारिक और सिद्ध रूप में प्रस्तुत करना – यही इस ग्रंथ का लक्ष्य है। यह साधक के लिए एक दीपस्तंभ की भांति कार्य करता है।

Additional information

Weight 0.2 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “परम साधन -भाग-2/ Param Sadhan- Bhag-2”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products