Description
लोगोंके मनमें अनेक ग्रन्योंके पढ़नेसे और तथाकथित साधु विद्वानोंके प्रवचन सुननेसे बहुत सी भ्रमात्मक धारणाएँ बैठ गयी हैं कि गृहस्थाश्रममें मुक्ति नहीं होती, स्त्रियोंकी मुक्ति नहीं होती, कलियुगमें मुक्ति नहीं होती । इस प्रकारकी धारणा बननेसे वे भाई बहन अपने कल्याणके लिये साधन ही नहीं कर पाते । गीताप्रेसके संस्थापक परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका भी एक गृहस्थ थे एवं वर्तमान समयमें ही उन्होंने भगवत्प्राप्ति की । उपर्युक्त भ्रमोंको दूर करके अपने कल्याणके लिये मनुष्य तत्परतासे लगे इन भावोंको लेकर उन्होंने प्रवचन दिये । लगभग साठ वर्ष पहले उनके दिये गये प्रवचनोंका संकलन इस पुस्तकमें किया गया है ।
उन्होंने बड़ी से बड़ी अध्यात्मविषयक गहरी बात बड़े सरल शब्दोंमें इस प्रकार कही ताकि हरेककी समझमें आ जाय । भगवान्के स्वरूप एवं तत्त्वका विषय इतने सरल ढंगसे बताया कि बालक, माता और बहनें भी सरलतासे समझ सकें । भगवत्प्राप्तिके लिये ही यह मनुष्य शरीर मिला है, भोग भोगनेके लिये नहीं, एक राजासे मिलनेका उदाहरण देकर भगवत्प्राप्तिकी सरलता एवं आवश्यकता कितने सुन्दर ढंगसे बतायी गयी है । भगवत्राम जपकी महिमा, ऊँचे से ऊँचे निष्कामभावका विवेचन, दीन दुःखियोकी सेवासे शीघ्र भगवत्प्राप्ति, भगवत्प्राप्तिके बहुत से सरल और निश्चित उपाय तथा भगवान्को भाव भक्तिकी प्रियता आदि विषयोंका इस पुस्तकमें विवेचन हुआ है । सभी भाई बहनोंसे प्रार्थना है कि इस पुस्तकको मननपूर्वक पढ़कर जीवनमें इन बातोंको काममें लावें और अपने बन्धुओं, सम्बन्धियों एवं मित्रोंको पढ़नेके लिये अवश्य प्रेरित करें ।
Additional information
Weight | 0.2 g |
---|
1 review for निष्कामभाव से भगवत्प्राप्ति/ Niskam Bhav Se Bhagwad Prapti
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Code of your destiny –
I’m extremely impressed along with your writing talents and also with the structure for your weblog. Is this a paid topic or did you customize it yourself? Either way keep up the nice high quality writing, it’s uncommon to see a great weblog like this one these days!