नारद भक्ति सूत्र एवं भक्ति / Narad Bhakti Sutra v Bhakti Vivechan

20.00

नारद भक्ति सूत्र एवं भक्ति 

नारद भक्ति सूत्र एवं भक्ति विवेचन

लेखक:

नारद मुनि (प्राचीन ग्रंथ) | विवेचन: विभिन्न विद्वानों द्वारा


विषय-वस्तु का परिचय:

नारद भक्ति सूत्र एक अत्यंत प्रसिद्ध प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है, जिसे महर्षि नारद द्वारा रचित माना जाता है। यह भक्ति योग (ईश्वर की भक्ति) के रहस्यों, स्वरूप, लक्षणों और साधनाओं की सरल और गूढ़ व्याख्या करता है।

यह ग्रंथ भक्ति मार्ग को सरल, सहज और प्रेमपूर्ण बताता है। इसमें कुल 84 सूत्र (संक्षिप्त वाक्य) हैं, जो सीधे हृदय से जुड़ने वाले हैं।


मुख्य विषय — नारद भक्ति सूत्र में क्या है?

● भक्ति क्या है?
● भक्ति का स्वरूप कैसा है?
● भक्ति के लक्षण कौन-कौन से हैं?
● भक्ति साधना के मार्ग कौन से हैं?
● सच्चे भक्त की पहचान क्या है?
● भक्ति किसे प्राप्त होती है?
● भक्ति में बाधाएँ और उनका समाधान
● प्रेम भक्ति का महत्व
● भगवान की कृपा का प्रभाव


भक्ति विवेचन क्या है?

भक्ति विवेचन” का अर्थ है — भक्ति सूत्रों की व्याख्या, अर्थ और गहराई से समझ।
यह भाग हमें सूत्रों के भावार्थ, उनके व्यवहारिक पहलू और जीवन में भक्ति को उतारने की विधि समझाता है।

यह भाग भक्तों के उदाहरण, कथाएँ और उपदेश के रूप में भक्ति की व्याख्या करता है।


उद्देश्य क्या है इस ग्रंथ का?

“मनुष्य के जीवन को प्रेम और भक्ति से भर देना।
ईश्वर से सीधा संबंध जोड़ना।
सच्ची भक्ति को पहचानना और जीना।”


विशेषताएँ:

  • सरल भाषा में गहन अध्यात्म

  • प्रेम, त्याग और समर्पण की सीख

  • ईश्वर प्रेम की सर्वोच्च महिमा

  • शुद्ध भक्ति का मार्गदर्शन

  • व्यवहारिक जीवन में भक्ति का प्रयोग

Description

 Narad Bhakti Sutra and Bhakti Vivechan  


Narad Bhakti Sutra and Bhakti Vivechan

Author:

Maharshi Narada (Original Text)
Bhakti Vivechan — Commentary/Explanation by various scholars


What is Narad Bhakti Sutra?

Narad Bhakti Sutra is a timeless spiritual scripture composed by the great sage Narada Muni, who is regarded as a divine devotee and spiritual teacher in Indian philosophy. This text is one of the most important scriptures of Bhakti Yoga (Path of Devotion).

It contains 84 short, powerful aphorisms (Sutras) that explain the essence, nature, and practice of pure devotion (Bhakti) towards God.


Themes of the Book:

● What is Bhakti (Devotion)?
● What is the nature of True Bhakti?
● Characteristics of a True Devotee
● Pathways to attain Bhakti
● Obstacles in Bhakti & their solutions
● Importance of Divine Love
● God’s grace in Bhakti
● Signs of Supreme Love for God
● Detachment from worldly desires


What is Bhakti Vivechan?

Bhakti Vivechan means Analysis and Explanation of Bhakti.
This part provides commentary and detailed explanation of each sutra of Narad Bhakti Sutra.

It helps the reader to understand:
→ The inner meaning of each sutra
→ Practical application in life
→ Stories of devotees (Bhaktas)
→ Real-life relevance of Bhakti Yoga
→ The role of love, surrender, and service in devotion


Purpose of this Text:

“To fill human life with divine love and devotion,
To connect directly with God through pure love,
To teach the path of selfless Bhakti.”

नारद भक्ति सूत्र एवं भक्ति 

नारद भक्ति सूत्र एवं भक्ति विवेचन

लेखक:

नारद मुनि (प्राचीन ग्रंथ) | विवेचन: विभिन्न विद्वानों द्वारा


विषय-वस्तु का परिचय:

नारद भक्ति सूत्र एक अत्यंत प्रसिद्ध प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है, जिसे महर्षि नारद द्वारा रचित माना जाता है। यह भक्ति योग (ईश्वर की भक्ति) के रहस्यों, स्वरूप, लक्षणों और साधनाओं की सरल और गूढ़ व्याख्या करता है।

यह ग्रंथ भक्ति मार्ग को सरल, सहज और प्रेमपूर्ण बताता है। इसमें कुल 84 सूत्र (संक्षिप्त वाक्य) हैं, जो सीधे हृदय से जुड़ने वाले हैं।


मुख्य विषय — नारद भक्ति सूत्र में क्या है?

● भक्ति क्या है?
● भक्ति का स्वरूप कैसा है?
● भक्ति के लक्षण कौन-कौन से हैं?
● भक्ति साधना के मार्ग कौन से हैं?
● सच्चे भक्त की पहचान क्या है?
● भक्ति किसे प्राप्त होती है?
● भक्ति में बाधाएँ और उनका समाधान
● प्रेम भक्ति का महत्व
● भगवान की कृपा का प्रभाव


भक्ति विवेचन क्या है?

भक्ति विवेचन” का अर्थ है — भक्ति सूत्रों की व्याख्या, अर्थ और गहराई से समझ।
यह भाग हमें सूत्रों के भावार्थ, उनके व्यवहारिक पहलू और जीवन में भक्ति को उतारने की विधि समझाता है।

यह भाग भक्तों के उदाहरण, कथाएँ और उपदेश के रूप में भक्ति की व्याख्या करता है।


उद्देश्य क्या है इस ग्रंथ का?

“मनुष्य के जीवन को प्रेम और भक्ति से भर देना।
ईश्वर से सीधा संबंध जोड़ना।
सच्ची भक्ति को पहचानना और जीना।”


विशेषताएँ:

  • सरल भाषा में गहन अध्यात्म

  • प्रेम, त्याग और समर्पण की सीख

  • ईश्वर प्रेम की सर्वोच्च महिमा

  • शुद्ध भक्ति का मार्गदर्शन

  • व्यवहारिक जीवन में भक्ति का प्रयोग

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