नवधा भक्ति/ Nabdha Bhakti

22.00

ब्रह्मलीना श्री जयदयाल गोयंदका द्वारा रचित यह छोटी शिक्षाप्रद पुस्तिका प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी हो रही है।

कथा व्यास ने कहा कि प्रशंसा सबको मीठी लगती है, भले ही झूठी प्रशंसा क्यों न हो। प्रशंसा सुनकर श्रेष्ठता का अभिमान आ जाता है। प्राय: प्रशंसा पूरी तरह सत्य नहीं होती। यदि प्रशंसा सुनने वाला विवेकवान न हो तो वह प्रशंसा को सत्य ही मान लेता है। लेकिन हनुमान जी के अंदर अभिमान नहीं जागृत हुआ। भरतजी प्रेमियों के सिरमौर हैं। उन तक पहुंचने के लिए हनुमानजी सीढ़ी हैं।
भक्त को ज्ञान के लिए अलग से श्रम करने की जरूरत नहीं। अगर कोई सच्चा ज्ञानी होगा तो उनमें भगवान की प्रेमभक्ति आ ही जाएगी।

Description

ब्रह्मलीना श्री जयदयाल गोयंदका द्वारा रचित यह छोटी शिक्षाप्रद पुस्तिका प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी हो रही है।

कथा व्यास ने कहा कि प्रशंसा सबको मीठी लगती है, भले ही झूठी प्रशंसा क्यों न हो। प्रशंसा सुनकर श्रेष्ठता का अभिमान आ जाता है। प्राय: प्रशंसा पूरी तरह सत्य नहीं होती। यदि प्रशंसा सुनने वाला विवेकवान न हो तो वह प्रशंसा को सत्य ही मान लेता है। लेकिन हनुमान जी के अंदर अभिमान नहीं जागृत हुआ। भरतजी प्रेमियों के सिरमौर हैं। उन तक पहुंचने के लिए हनुमानजी सीढ़ी हैं।
भक्त को ज्ञान के लिए अलग से श्रम करने की जरूरत नहीं। अगर कोई सच्चा ज्ञानी होगा तो उनमें भगवान की प्रेमभक्ति आ ही जाएगी।

Additional information

Weight 0.2 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “नवधा भक्ति/ Nabdha Bhakti”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products