दोहावली/ Dohavali

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तुलसीदास जी केवल रामकथा के कवि नहीं, बल्कि एक उच्चकोटि के समाजसुधारक और जीवनद्रष्टा भी थे। ‘दोहावली‘ में उनका यह दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। इस काव्य-संग्रह में 573 दोहे और सोरठा छंद हैं, जो पाठकों को न केवल धर्म का पाठ पढ़ाते हैं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं।


🕉️ मुख्य विषय-वस्तु:

  1. रामभक्ति:

    • भगवान राम के गुण, लीला और नाम की महिमा का भव्य वर्णन

    • राम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ रूप में देखना और उनसे प्रेरणा लेना

  2. नीति और सदाचार:

    • सत्य, संयम, दया, क्षमा, विनम्रता, स्वधर्म का पालन

    • राजा, प्रजा, गुरु, शिष्य, स्त्री, ब्राह्मण, वैश्य आदि के आचरण की शिक्षाएँ

  3. ज्ञान और वैराग्य:

    • संसार की नश्वरता का बोध

    • आत्मा, माया, जन्म-मृत्यु के चक्र की विवेचना

    • ईश्वर के प्रति समर्पण और अंतर्मुखी साधना की प्रेरणा

  4. समाज सुधार:

    • सामाजिक कुरीतियों पर करारा व्यंग्य

    • जाति, पाखंड, लोभ, छल, और दिखावे की आलोचना

    • सत्संग और सच्चे गुरु की महत्ता


🌟 शैली और विशेषताएँ:

  • छंद शैली: दोहा और सोरठा — छोटे मगर गहरे अर्थवाले छंद

  • भाषा: ब्रज और अवधी मिश्रित, जो भावनाओं के सहज संप्रेषण में सक्षम है

  • भावार्थ: गीता प्रेस द्वारा प्रदत्त हिंदी व्याख्या सहज और सुपाठ्य है

  • पाठ के साथ चिंतन: हर दोहे में जीवन की दिशा देनेवाली चेतना छिपी है


🧠 दोहावली से प्रेरक उदाहरण:

(कुछ प्रसिद्ध दोहे)

“तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण एक मंत्र है, तजि कलुष वचन घोर॥”

➡️ मधुर वाणी ही सबसे बड़ा वशीकरण मंत्र है।

“संत ह्रदय नवनीत सम, कठिन जाति कुचाल।
जो छुवै दुःख दूसरन को, ताहि संत कहु काल॥”

➡️ संतों का हृदय माखन जैसा होता है, पर जो दूसरों को कष्ट दे, वह संत नहीं।


🎯 पुस्तक किसके लिए उपयुक्त है?

  • जो लोग नीति, भक्ति और जीवन-दर्शन में रुचि रखते हैं

  • विद्यार्थी, गृहस्थ, साधक और समाजसेवी

  • जो तुलसी साहित्य को गहराई से समझना चाहते हैं

  • जो रामचरितमानस के समानांतर तुलसी के अन्य विचारों से परिचित होना चाहते हैं                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                            दोहावली’ एक ऐसी कालजयी कृति है जो तुलसीदास जी की संतवाणी को जनमानस के हृदय तक पहुँचाती है। इसमें वर्णित दोहे सरल होते हुए भी अत्यंत गहन हैं। यह पुस्तक न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि एक जीवनशास्त्र है, जो हर व्यक्ति को एक श्रेष्ठ मनुष्य बनने की प्रेरणा देता है।

Description

तुलसीदास जी केवल रामकथा के कवि नहीं, बल्कि एक उच्चकोटि के समाजसुधारक और जीवनद्रष्टा भी थे। ‘दोहावली‘ में उनका यह दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। इस काव्य-संग्रह में 573 दोहे और सोरठा छंद हैं, जो पाठकों को न केवल धर्म का पाठ पढ़ाते हैं, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं।


🕉️ मुख्य विषय-वस्तु:

  1. रामभक्ति:

    • भगवान राम के गुण, लीला और नाम की महिमा का भव्य वर्णन

    • राम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ रूप में देखना और उनसे प्रेरणा लेना

  2. नीति और सदाचार:

    • सत्य, संयम, दया, क्षमा, विनम्रता, स्वधर्म का पालन

    • राजा, प्रजा, गुरु, शिष्य, स्त्री, ब्राह्मण, वैश्य आदि के आचरण की शिक्षाएँ

  3. ज्ञान और वैराग्य:

    • संसार की नश्वरता का बोध

    • आत्मा, माया, जन्म-मृत्यु के चक्र की विवेचना

    • ईश्वर के प्रति समर्पण और अंतर्मुखी साधना की प्रेरणा

  4. समाज सुधार:

    • सामाजिक कुरीतियों पर करारा व्यंग्य

    • जाति, पाखंड, लोभ, छल, और दिखावे की आलोचना

    • सत्संग और सच्चे गुरु की महत्ता


🌟 शैली और विशेषताएँ:

  • छंद शैली: दोहा और सोरठा — छोटे मगर गहरे अर्थवाले छंद

  • भाषा: ब्रज और अवधी मिश्रित, जो भावनाओं के सहज संप्रेषण में सक्षम है

  • भावार्थ: गीता प्रेस द्वारा प्रदत्त हिंदी व्याख्या सहज और सुपाठ्य है

  • पाठ के साथ चिंतन: हर दोहे में जीवन की दिशा देनेवाली चेतना छिपी है


🧠 दोहावली से प्रेरक उदाहरण:

(कुछ प्रसिद्ध दोहे)

“तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण एक मंत्र है, तजि कलुष वचन घोर॥”

➡️ मधुर वाणी ही सबसे बड़ा वशीकरण मंत्र है।

“संत ह्रदय नवनीत सम, कठिन जाति कुचाल।
जो छुवै दुःख दूसरन को, ताहि संत कहु काल॥”

➡️ संतों का हृदय माखन जैसा होता है, पर जो दूसरों को कष्ट दे, वह संत नहीं।


🎯 पुस्तक किसके लिए उपयुक्त है?

  • जो लोग नीति, भक्ति और जीवन-दर्शन में रुचि रखते हैं

  • विद्यार्थी, गृहस्थ, साधक और समाजसेवी

  • जो तुलसी साहित्य को गहराई से समझना चाहते हैं

  • जो रामचरितमानस के समानांतर तुलसी के अन्य विचारों से परिचित होना चाहते हैं                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                            दोहावली’ एक ऐसी कालजयी कृति है जो तुलसीदास जी की संतवाणी को जनमानस के हृदय तक पहुँचाती है। इसमें वर्णित दोहे सरल होते हुए भी अत्यंत गहन हैं। यह पुस्तक न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि एक जीवनशास्त्र है, जो हर व्यक्ति को एक श्रेष्ठ मनुष्य बनने की प्रेरणा देता है।

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