दुःख क्यों होते हैं ?/ Dookh kyon hote hain?

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संसार के पाप-ताप से सन्तप्त मानव-मन को अपने उत्कृष्ट वैचारिक फुहार से शान्ति प्रदान करनेवाले- तत्त्व-विचार, भजन-साधन-सम्बन्धी अनेक जिज्ञासाओं की तृप्ति करनेवाले श्री भाई जी हनुमानप्रसाद पोद्दार के पत्रोंका संकलन।

असल में सच्चा सकाम भक्त किसी वस्तु या स्थिति को तो चाहता है; परंतु उसका अपने भगवान में दृढ़ विश्वास होता है और वह उस वस्तु की उपेक्षा अपने भगवान को अधिक मूल्यवान् और आवश्यक समझता है।

Description

संसार के पाप-ताप से सन्तप्त मानव-मन को अपने उत्कृष्ट वैचारिक फुहार से शान्ति प्रदान करनेवाले- तत्त्व-विचार, भजन-साधन-सम्बन्धी अनेक जिज्ञासाओं की तृप्ति करनेवाले श्री भाई जी हनुमानप्रसाद पोद्दार के पत्रोंका संकलन।

असल में सच्चा सकाम भक्त किसी वस्तु या स्थिति को तो चाहता है; परंतु उसका अपने भगवान में दृढ़ विश्वास होता है और वह उस वस्तु की उपेक्षा अपने भगवान को अधिक मूल्यवान् और आवश्यक समझता है।

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