ज्ञानयोग स्वामी विवेकानंद / Giyan Yoga Swami Vivekananda

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ज्ञानयोग – स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद ने अपने ग्रंथ “ज्ञानयोग में अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को स्पष्ट किया है। यह ग्रंथ आत्मज्ञान, ब्रह्म, आत्मा और मोक्ष के रहस्यों को उजागर करता है। स्वामी जी के अनुसार, ज्ञानयोग आत्मा की वास्तविक पहचान का मार्ग है, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर परम सत्य की ओर ले जाता है।

मुख्य विषय:

  1. अद्वैत वेदांत – ब्रह्म और आत्मा की एकता

  2. स्व-ज्ञान – “मैं कौन हूँ?” का उत्तर

  3. माया और अज्ञान – भ्रम और सत्य का अंतर

  4. ध्यान और मन का संयम – आत्म-साक्षात्कार के उपाय

  5. मुक्ति का मार्ग – आत्मबोध द्वारा मोक्ष

स्वामी विवेकानंद ने ज्ञानयोग को आत्म-उद्धार का सर्वोत्तम साधन बताया है, जिससे व्यक्ति भौतिक सीमाओं से मुक्त होकर ईश्वर से एकाकार हो सकता है।

Description

 Giyan Yoga – Swami Vivekananda

Swami Vivekananda’s “Jnana Yoga” is a profound exploration of Advaita Vedanta, focusing on the path of knowledge and self-inquiry. This book delves into the nature of the self, the universe, and the ultimate truth, guiding seekers towards spiritual enlightenment through wisdom and discernment.

Key Concepts:

  1. Advaita Vedanta – The oneness of Brahman and the Self.

  2. Self-Realization – Answering the question, “Who am I?”

  3. Maya and Ignorance – Understanding illusion and reality.

  4. Meditation and Mind Control – Tools for self-discovery.

  5. Path to Liberation – Attaining Moksha through wisdom.

Swami Vivekananda emphasizes that Jnana Yoga is the highest path to self-liberation, enabling individuals to transcend material limitations and unite with the Supreme Reality.

ज्ञानयोग – स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद ने अपने ग्रंथ “ज्ञानयोग में अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को स्पष्ट किया है। यह ग्रंथ आत्मज्ञान, ब्रह्म, आत्मा और मोक्ष के रहस्यों को उजागर करता है। स्वामी जी के अनुसार, ज्ञानयोग आत्मा की वास्तविक पहचान का मार्ग है, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर परम सत्य की ओर ले जाता है।

मुख्य विषय:

  1. अद्वैत वेदांत – ब्रह्म और आत्मा की एकता

  2. स्व-ज्ञान – “मैं कौन हूँ?” का उत्तर

  3. माया और अज्ञान – भ्रम और सत्य का अंतर

  4. ध्यान और मन का संयम – आत्म-साक्षात्कार के उपाय

  5. मुक्ति का मार्ग – आत्मबोध द्वारा मोक्ष

स्वामी विवेकानंद ने ज्ञानयोग को आत्म-उद्धार का सर्वोत्तम साधन बताया है, जिससे व्यक्ति भौतिक सीमाओं से मुक्त होकर ईश्वर से एकाकार हो सकता है।

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