जैसा बीज वैसा फल/ Jaisa Beej Wesa Fal

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भगवान, धर्म, परलोक और पुनर्जन्म कर्मफल भोग आदिपर उत्तरोत्तर विश्वास कम होता रहने के कारण आज मानव जीवन में उच्छृंखलता, भोगपरायणता, सत्कर्मों में उपेक्षा, दुष्कर्मों मैं प्रीति, अदि महान दोष आ गए हैं| इस पुस्तक में आए हुए विषयों का ठीक-ठीक अध्यन किया जाने पर परलोक तथा पुनर्जन्म में एवं कर्मफल भोग के सिद्धांत में विश्वास बढ़ना अनिवार्य है और उस विश्वास से पतन के प्रवाह में किसी अंश में कुछ रुकावट आना भी संभव है | यद्यपि पतन के प्रवाह का वेग  इतना प्रबल और भयानक है कि छोटी मोटी बातों से उसका रुकना संभव नहीं है, तथापि यदि कुछ लोग भी इससे बचेंगे तो उनको तो लाभ होगा ही, फिर उनके संसर्ग में दूसरों को भी परंपरागत लाभ होना संभव है|

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भगवान, धर्म, परलोक और पुनर्जन्म कर्मफल भोग आदिपर उत्तरोत्तर विश्वास कम होता रहने के कारण आज मानव जीवन में उच्छृंखलता, भोगपरायणता, सत्कर्मों में उपेक्षा, दुष्कर्मों मैं प्रीति, अदि महान दोष आ गए हैं| इस पुस्तक में आए हुए विषयों का ठीक-ठीक अध्यन किया जाने पर परलोक तथा पुनर्जन्म में एवं कर्मफल भोग के सिद्धांत में विश्वास बढ़ना अनिवार्य है और उस विश्वास से पतन के प्रवाह में किसी अंश में कुछ रुकावट आना भी संभव है | यद्यपि पतन के प्रवाह का वेग  इतना प्रबल और भयानक है कि छोटी मोटी बातों से उसका रुकना संभव नहीं है, तथापि यदि कुछ लोग भी इससे बचेंगे तो उनको तो लाभ होगा ही, फिर उनके संसर्ग में दूसरों को भी परंपरागत लाभ होना संभव है|

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