जीवनोपयोगी प्रवचन/ Jeevan Upyogi Pravachan

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Description

यह बात अनुभव सिद्ध है कि बोलते-बोलते बोलना बन्द हो जायगा । पड़े रहो बोलने की शक्ति आ जायगी । शक्ति स्वतः आती है निष्क्रिय होने से और सक्रिय होने से शक्ति नष्ट होती है । जितने भोग-संग्रह के लिये काम करते हैं उनमें थकावट होती है । नींद लेने से थकावट दूर हो जाती है और शक्ति आती है । 

*निष्क्रिय होने से करने की शक्ति आती है यह तो अनुभव है न ? इसलिये निष्क्रिय रहने से शक्ति आ जायगी । और हे नाथ ! ऐसा कहने से काम सिद्ध हो जायगा । यह रामबाण उपाय है । इसमें सन्देह हो तो बोलो । तो शरण होकर निसन्देह हो जाओ । यह तुम्हारा असली इलाज है !

* इस अवस्था में चुप होने में परिश्रम नहीं करना है । कोई क्रिया हो गयी तो हो गयी, नहीं हुई तो नहीं हुई । अपने मतलब नहीं । अपनी तरफ से कोई क्रिया न तो करो और न ही ना करो । दोनों से उदासीन रहो । क्रिया हो तो होती रहे । 

इस तरह तत्त्वज्ञ जीवन्मुक्त महापुरुष जिसको कहते हैं उसकी अभी-अभी सिद्धि हो गयी 

                                  ——श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज  

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