छत्रपति शिवाजी पर स्वामी विवेकानंद के विचार/Chatrapati Shivaji par Swami Vivekananda ka Vichar

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छत्रपति शिवाजी पर स्वामी विवेकानंद के विचार  

स्वामी विवेकानंद जी छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व और उनके कार्यों से अत्यंत प्रभावित थे। उन्होंने कई बार अपने भाषणों और लेखों में शिवाजी महाराज की वीरता, राष्ट्रभक्ति, संगठन क्षमता और धर्म रक्षा के प्रति समर्पण की सराहना की।

स्वामी विवेकानंद मानते थे कि छत्रपति शिवाजी केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि एक आदर्श राजा और महान राष्ट्र निर्माता थे। उनके अनुसार शिवाजी महाराज ने अपने पराक्रम, नीति, धर्म और सद्गुणों से एक आदर्श शासन प्रणाली की स्थापना की थी। विवेकानंद जी ने यह भी कहा था कि भारत को शिवाजी जैसे वीर, त्यागी और चरित्रवान नेताओं की हमेशा आवश्यकता है।

उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था कि —
“यदि भारत के नौजवानों में शिवाजी जैसी देशभक्ति, निष्ठा और संगठन शक्ति आ जाए तो भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है।”

स्वामी विवेकानंद ने शिवाजी को धर्म रक्षा और राष्ट्र रक्षा का प्रतीक माना। उनका मानना था कि शिवाजी का जीवन बताता है कि किस प्रकार एक सच्चा राजा अपने लोगों की भलाई के लिए संघर्ष करता है और अपने धर्म तथा संस्कृति की रक्षा करता है।

Description

Swami Vivekananda’s Thoughts on Chhatrapati Shivaji 

Swami Vivekananda held great respect and admiration for Chhatrapati Shivaji Maharaj. He considered Shivaji not just a brave warrior but also an ideal ruler, a great nation-builder, and a symbol of devotion to duty, religion, and country.

Swami Vivekananda believed that Shivaji Maharaj’s life was a perfect example of courage, leadership, and sacrifice for the motherland. He often inspired the youth of India by giving the example of Shivaji’s fearless spirit, dedication, and organizational skills.

According to Swami Vivekananda —
“If India’s young generation develops qualities like Shivaji — bravery, patriotism, discipline, and leadership — then India can once again become a great power in the world.”

He saw Shivaji not only as a mighty king but also as a spiritual warrior who fought for justice, righteousness (Dharma), and the protection of Indian culture. Swami Vivekananda believed that Shivaji’s life teaches us how a true leader lives for his people and his nation, fighting against injustice without any selfish motives.

छत्रपति शिवाजी पर स्वामी विवेकानंद के विचार  

स्वामी विवेकानंद जी छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व और उनके कार्यों से अत्यंत प्रभावित थे। उन्होंने कई बार अपने भाषणों और लेखों में शिवाजी महाराज की वीरता, राष्ट्रभक्ति, संगठन क्षमता और धर्म रक्षा के प्रति समर्पण की सराहना की।

स्वामी विवेकानंद मानते थे कि छत्रपति शिवाजी केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि एक आदर्श राजा और महान राष्ट्र निर्माता थे। उनके अनुसार शिवाजी महाराज ने अपने पराक्रम, नीति, धर्म और सद्गुणों से एक आदर्श शासन प्रणाली की स्थापना की थी। विवेकानंद जी ने यह भी कहा था कि भारत को शिवाजी जैसे वीर, त्यागी और चरित्रवान नेताओं की हमेशा आवश्यकता है।

उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा था कि —
“यदि भारत के नौजवानों में शिवाजी जैसी देशभक्ति, निष्ठा और संगठन शक्ति आ जाए तो भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है।”

स्वामी विवेकानंद ने शिवाजी को धर्म रक्षा और राष्ट्र रक्षा का प्रतीक माना। उनका मानना था कि शिवाजी का जीवन बताता है कि किस प्रकार एक सच्चा राजा अपने लोगों की भलाई के लिए संघर्ष करता है और अपने धर्म तथा संस्कृति की रक्षा करता है।

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