गीतातत्त्व/ Geetatattva- Swami Saradananda
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स्वामी सारदानन्द द्वारा रचित ‘गीतातत्त्व’ (Geetatattva) भगवद्गीता के गहन तत्वों पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक रामकृष्ण मठ, नागपुर द्वारा प्रकाशित की गई है और हिंदी में उपलब्ध है। पुस्तक के हिंदी संस्करण का अनुवाद श्री नृसिंहवल्लभ गोस्वामी ने किया है। यह पेपरबैक संस्करण में 189 पृष्ठों की है
पुस्तक की सामग्री में स्वामी सारदानन्द के गीता पर विचार और व्याख्याएँ शामिल हैं, जो पाठकों को गीता के दार्शनिक और आध्यात्मिक पहलुओं को समझने में सहायता करती हैं।
इसके अतिरिक्त, ‘गीतातत्त्व-चिन्तन’ (Gita Tattwa Chintan) शीर्षक से दो खंडों में स्वामी आत्मानन्द द्वारा गीता पर हिंदी में व्याख्यान उपलब्ध हैं। पहला खंड गीता के परिचय और पहले दो अध्यायों को कवर करता है, जबकि दूसरा खंड तीसरे से छठे अध्याय तक की व्याख्या प्रदान करता है। ये पुस्तकें अद्वैत आश्रम द्वारा प्रकाशित की गई हैं।
Description
“Gita Tattva” is a collection of fifteen Bengali discourses by Swami Saradananda, a direct disciple of Sri Ramakrishna. The first six of these talks focus exclusively on the Bhagavad Gita, offering a profound exploration of its teachings. Originally published by the Udbodhan office in Kolkata, these discourses have been translated into English under the title “The Essence of The Gita,” making them accessible to a broader audience.
In these talks, Swami Saradananda delves into various aspects of the Gita, including Jnana Yoga (the path of knowledge), Karma Yoga (the path of action), and the interplay between knowledge and devotion. His insights provide readers with a deeper understanding of the Gita’s philosophical and practical dimensions.
स्वामी सारदानन्द द्वारा रचित ‘गीतातत्त्व’ (Geetatattva) भगवद्गीता के गहन तत्वों पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक रामकृष्ण मठ, नागपुर द्वारा प्रकाशित की गई है और हिंदी में उपलब्ध है। पुस्तक के हिंदी संस्करण का अनुवाद श्री नृसिंहवल्लभ गोस्वामी ने किया है। यह पेपरबैक संस्करण में 189 पृष्ठों की है
पुस्तक की सामग्री में स्वामी सारदानन्द के गीता पर विचार और व्याख्याएँ शामिल हैं, जो पाठकों को गीता के दार्शनिक और आध्यात्मिक पहलुओं को समझने में सहायता करती हैं।
इसके अतिरिक्त, ‘गीतातत्त्व-चिन्तन’ (Gita Tattwa Chintan) शीर्षक से दो खंडों में स्वामी आत्मानन्द द्वारा गीता पर हिंदी में व्याख्यान उपलब्ध हैं। पहला खंड गीता के परिचय और पहले दो अध्यायों को कवर करता है, जबकि दूसरा खंड तीसरे से छठे अध्याय तक की व्याख्या प्रदान करता है। ये पुस्तकें अद्वैत आश्रम द्वारा प्रकाशित की गई हैं।
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