गिरिराज गुंजन/ Giriraj Gunjan

170.00

“गिरिराज गुंजन” एक अत्यंत भावपूर्ण और रससिक्त ग्रंथ है, जो श्री राधा बाबा की श्री गिरिराज जी के प्रति अनन्य भक्ति, प्रेम और आंतरिक तल्लीनता का सजीव दस्तावेज़ है। यह ग्रंथ श्री राधेश्याम बांका द्वारा संकलित एवं प्रस्तुत किया गया है, जो राधा बाबा के परम भक्त एवं जीवनी लेखक हैं।

यह पुस्तक उन भक्ति-पदों, वंदनाओं, और गीतों का संग्रह है, जो श्री राधा बाबा गिरिराज जी की परिक्रमा के समय गाया करते थे या जिनका गान उनके साथ रहने वाले साधक किया करते थे। इन पदों से न केवल गिरिराज जी की महिमा प्रकट होती है, बल्कि राधा बाबा के व्रज-भाव, गोपी-प्रेम, और रसराज श्रीकृष्ण के प्रति आत्मसमर्पण की झलक भी प्राप्त होती है।


📖 विषयवस्तु एवं भावधारा:

  • यह ग्रंथ श्री गिरिराज जी की महिमा का निरंतर गुंजन है — इसलिए इसका नाम भी “गिरिराज गुंजन” रखा गया है।

  • इसमें वर्णित पद विरह, विनय, माधुर्य और करुणा से ओत-प्रोत हैं, जो साधक के हृदय को भक्ति से भर देते हैं।

  • पुस्तक में कई पद शृंगार-रसिक भक्ति परंपरा के हैं, जिनमें स्वामिनी राधिका के प्रति पूर्ण समर्पण भाव देखने को मिलता है।

  • हर पद, हर छंद एक आत्मा की पुकार है — “हे गिरिराज! मुझे अपने चरणों में रख लो, मुझे वृंदावन का कण-कण प्रिय है, मुझे केवल सेवा का अवसर चाहिए।”

  • इस ग्रंथ का अध्ययन करने से यह अनुभव होता है कि भक्ति केवल बाहरी आडंबर नहीं, वरन् एक आंतरिक ज्वाला है, जो गिरिराज महाराज की छाया में शांत और पूर्ण होती है।


🌿 श्री राधा बाबा की छाया में:

श्री राधा बाबा एक अद्वितीय रसिक संत थे, जिनका जीवन स्वामिनी राधिका और श्रीकृष्ण के प्रेम में पूर्णत: निमग्न था। उनका समस्त जीवन व्रजभावना, दैन्य, विनय और सेवा की जीवंत मूर्ति था।

  • वे गिरिराज जी की परिक्रमा अत्यंत श्रद्धा और प्रेम से करते थे।

  • यह पुस्तक उसी परिक्रमा लीलाओं, गायन, और अनुभवों का संग्रह है।


🛕 आध्यात्मिक लाभ:

  • गिरिराज गुंजन उन साधकों के लिए अमूल्य निधि है जो व्रजभक्ति के सूक्ष्मतम रस का अनुभव करना चाहते हैं।

  • यह ग्रंथ परिक्रमा करने वालों, गिरिराज जी के उपासकों, और श्रीराधा-कृष्ण के प्रेमी साधकों के लिए एक मार्गदर्शक और सहचर है।

  • इस पुस्तक को पढ़ते हुए साधक मानसिक रूप से स्वयं को गोवर्धन के उस पवित्र परिवेश में उपस्थित अनुभव करता है, जहाँ बाबा के चरणों से प्रेम की गंगा बह रही हो।



🪔 निष्कर्ष:

“गिरिराज गुंजन केवल एक भक्ति संग्रह नहीं है — यह एक अनुभव है, एक जीवंत रस यात्रा है, एक अनुपम काव्यात्मक साधना है, जो श्री गिरिराज महाराज और श्री राधा बाबा की कृपा से हमारे जीवन में भक्ति का नवप्रकाश भर सकती है।

Description

“गिरिराज गुंजन” एक अत्यंत भावपूर्ण और रससिक्त ग्रंथ है, जो श्री राधा बाबा की श्री गिरिराज जी के प्रति अनन्य भक्ति, प्रेम और आंतरिक तल्लीनता का सजीव दस्तावेज़ है। यह ग्रंथ श्री राधेश्याम बांका द्वारा संकलित एवं प्रस्तुत किया गया है, जो राधा बाबा के परम भक्त एवं जीवनी लेखक हैं।

यह पुस्तक उन भक्ति-पदों, वंदनाओं, और गीतों का संग्रह है, जो श्री राधा बाबा गिरिराज जी की परिक्रमा के समय गाया करते थे या जिनका गान उनके साथ रहने वाले साधक किया करते थे। इन पदों से न केवल गिरिराज जी की महिमा प्रकट होती है, बल्कि राधा बाबा के व्रज-भाव, गोपी-प्रेम, और रसराज श्रीकृष्ण के प्रति आत्मसमर्पण की झलक भी प्राप्त होती है।


📖 विषयवस्तु एवं भावधारा:

  • यह ग्रंथ श्री गिरिराज जी की महिमा का निरंतर गुंजन है — इसलिए इसका नाम भी “गिरिराज गुंजन” रखा गया है।

  • इसमें वर्णित पद विरह, विनय, माधुर्य और करुणा से ओत-प्रोत हैं, जो साधक के हृदय को भक्ति से भर देते हैं।

  • पुस्तक में कई पद शृंगार-रसिक भक्ति परंपरा के हैं, जिनमें स्वामिनी राधिका के प्रति पूर्ण समर्पण भाव देखने को मिलता है।

  • हर पद, हर छंद एक आत्मा की पुकार है — “हे गिरिराज! मुझे अपने चरणों में रख लो, मुझे वृंदावन का कण-कण प्रिय है, मुझे केवल सेवा का अवसर चाहिए।”

  • इस ग्रंथ का अध्ययन करने से यह अनुभव होता है कि भक्ति केवल बाहरी आडंबर नहीं, वरन् एक आंतरिक ज्वाला है, जो गिरिराज महाराज की छाया में शांत और पूर्ण होती है।


🌿 श्री राधा बाबा की छाया में:

श्री राधा बाबा एक अद्वितीय रसिक संत थे, जिनका जीवन स्वामिनी राधिका और श्रीकृष्ण के प्रेम में पूर्णत: निमग्न था। उनका समस्त जीवन व्रजभावना, दैन्य, विनय और सेवा की जीवंत मूर्ति था।

  • वे गिरिराज जी की परिक्रमा अत्यंत श्रद्धा और प्रेम से करते थे।

  • यह पुस्तक उसी परिक्रमा लीलाओं, गायन, और अनुभवों का संग्रह है।


🛕 आध्यात्मिक लाभ:

  • गिरिराज गुंजन उन साधकों के लिए अमूल्य निधि है जो व्रजभक्ति के सूक्ष्मतम रस का अनुभव करना चाहते हैं।

  • यह ग्रंथ परिक्रमा करने वालों, गिरिराज जी के उपासकों, और श्रीराधा-कृष्ण के प्रेमी साधकों के लिए एक मार्गदर्शक और सहचर है।

  • इस पुस्तक को पढ़ते हुए साधक मानसिक रूप से स्वयं को गोवर्धन के उस पवित्र परिवेश में उपस्थित अनुभव करता है, जहाँ बाबा के चरणों से प्रेम की गंगा बह रही हो।



🪔 निष्कर्ष:

“गिरिराज गुंजन केवल एक भक्ति संग्रह नहीं है — यह एक अनुभव है, एक जीवंत रस यात्रा है, एक अनुपम काव्यात्मक साधना है, जो श्री गिरिराज महाराज और श्री राधा बाबा की कृपा से हमारे जीवन में भक्ति का नवप्रकाश भर सकती है।

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