कल्याण कुञ्ज-भाग-1/ Kalyankunj Bhag-1

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कल्याण कुञ्ज – भाग 1 एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और हृदयस्पर्शी ग्रंथ है, जिसकी रचना जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा की गई है। यह ग्रंथ भक्ति, साधना और ईश्वर प्रेम के गूढ़ रहस्यों को सरल एवं सरस भाषा में उजागर करता है। इसमें भगवान के विभिन्न रूपों, भक्तों की मनोवृत्तियों, तथा आत्मा और परमात्मा के संबंध पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।


📖 कल्याण कुञ्ज – भाग 1”  

🔹 भक्ति मार्ग की व्याख्या:
इस भाग में मुख्यतः अनन्य भक्ति, आत्म-समर्पण, और भगवद्प्रेम की प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। यह बताया गया है कि केवल शास्त्र ज्ञान या कर्मकांड से नहीं, बल्कि हृदय की गहराई से भगवान को प्रेम करने से ही मोक्ष संभव है।

🔹 आत्मिक कल्याण का मार्ग:
ग्रंथ का उद्देश्य साधक को आत्मा के शुद्धिकरण की ओर प्रेरित करना है, जिससे वह संसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान की शरण में जा सके।

🔹 प्रेरणादायक प्रसंग:
ग्रंथ में अनेक प्रेरणादायक कथाएँ, दृष्टांत और उदाहरण दिए गए हैं, जो पाठक को मनोविकारों से ऊपर उठने और भगवद-चिन्तन में स्थिर रहने की प्रेरणा देते हैं।

🔹 सरल एवं भावपूर्ण भाषा:
श्री महाराज जी ने इस ग्रंथ को अत्यंत सरल हिंदी में लिखा है, ताकि हर वर्ग का पाठक इसे समझ सके और अपने जीवन में उतार सके।


🕉️ मुख्य विषय:

  • जीव और भगवान का शाश्वत संबंध

  • सच्चे गुरु की आवश्यकता

  • नाम जप और ध्यान का महत्व

  • भगवद्-प्रेम की अनुभूति कैसे करें

  • अहंकार, माया और मन की प्रकृति

Description

कल्याण कुञ्ज – भाग 1 एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और हृदयस्पर्शी ग्रंथ है, जिसकी रचना जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा की गई है। यह ग्रंथ भक्ति, साधना और ईश्वर प्रेम के गूढ़ रहस्यों को सरल एवं सरस भाषा में उजागर करता है। इसमें भगवान के विभिन्न रूपों, भक्तों की मनोवृत्तियों, तथा आत्मा और परमात्मा के संबंध पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।


📖 कल्याण कुञ्ज – भाग 1”  

🔹 भक्ति मार्ग की व्याख्या:
इस भाग में मुख्यतः अनन्य भक्ति, आत्म-समर्पण, और भगवद्प्रेम की प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है। यह बताया गया है कि केवल शास्त्र ज्ञान या कर्मकांड से नहीं, बल्कि हृदय की गहराई से भगवान को प्रेम करने से ही मोक्ष संभव है।

🔹 आत्मिक कल्याण का मार्ग:
ग्रंथ का उद्देश्य साधक को आत्मा के शुद्धिकरण की ओर प्रेरित करना है, जिससे वह संसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान की शरण में जा सके।

🔹 प्रेरणादायक प्रसंग:
ग्रंथ में अनेक प्रेरणादायक कथाएँ, दृष्टांत और उदाहरण दिए गए हैं, जो पाठक को मनोविकारों से ऊपर उठने और भगवद-चिन्तन में स्थिर रहने की प्रेरणा देते हैं।

🔹 सरल एवं भावपूर्ण भाषा:
श्री महाराज जी ने इस ग्रंथ को अत्यंत सरल हिंदी में लिखा है, ताकि हर वर्ग का पाठक इसे समझ सके और अपने जीवन में उतार सके।


🕉️ मुख्य विषय:

  • जीव और भगवान का शाश्वत संबंध

  • सच्चे गुरु की आवश्यकता

  • नाम जप और ध्यान का महत्व

  • भगवद्-प्रेम की अनुभूति कैसे करें

  • अहंकार, माया और मन की प्रकृति

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Weight 0.2 g

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