Description
एकादश स्कन्ध (एकादश स्कंद) – श्रीमद्भागवत महापुराण का सार (हिन्दी में विवरण)
एकादश स्कन्ध श्रीमद्भागवत महापुराण का 11वाँ अध्याय (स्कंध) है। यह स्कन्ध ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव जी को उपदेश दिया गया है, जिसे “उद्धव-गीता” भी कहा जाता है। यह गीता, भगवद्गीता के समान ही गूढ़ और आध्यात्मिक ज्ञान से भरपूर है।
🔶 एकादश स्कन्ध की प्रमुख विषयवस्तु:
-
उद्धव-श्रीकृष्ण संवाद:
-
श्रीकृष्ण, अपने परम भक्त उद्धव को धर्म, ज्ञान, भक्ति, योग, आत्मतत्त्व और मोक्ष का उपदेश देते हैं।
-
यह संवाद द्वारका के अंत में होता है, जब भगवान पृथ्वी से अपने अवतार की लीला समेटने वाले होते हैं।
-
-
भक्ति का महत्त्व:
-
इस स्कन्ध में बताया गया है कि केवल भक्ति से ही भगवान की प्राप्ति संभव है।
-
भगवान स्वयं कहते हैं कि जो अनन्य प्रेम से मेरी भक्ति करता है, वह मुझे प्राप्त करता है।
-
-
गुरु के बिना ज्ञान नहीं:
-
भगवान उद्धव को बताते हैं कि एक सच्चे गुरु के चरणों में जाकर ही आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
-
-
अवधूत और 24 गुरु:
-
एक अवधूत ब्रह्मज्ञानी व्यक्ति 24 वस्तुओं से (जैसे पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश, आदि) सीख लेकर आत्मज्ञान प्राप्त करता है।
-
यह प्रसंग बहुत प्रसिद्ध और शिक्षाप्रद है।
-
-
जीवन के चार पुरुषार्थ:
-
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की व्याख्या और इनमें मोक्ष को सर्वोच्च बताया गया है।
-
-
भगवान का वैराग्य और लीला-समापन:
-
श्रीकृष्ण संसार से संन्यास लेने के भाव में उद्धव को ज्ञान देकर बदरिकाश्रम जाने को कहते हैं।
-
Additional information
Weight | 0.3 g |
---|
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.