ईश्वर/ Ishwar

15.00

“ईश्वर” एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “सर्वशक्तिमान देव” या “सर्वशक्तिमान परमेश्वर”। यह शब्द हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, और सिख धर्म में उपयोग किया जाता है।

ईश्वर को अनन्त, अज्ञेय, अजर, अमर, अचल, निरंतर, निराकार, निर्गुण, और सर्वशक्तिमान माना जाता है। वह सृष्टि का कारण है, उसके पालन-पोषण करने वाला है, और संसार के सभी प्राणियों के मालिक हैं।

ईश्वर को भगवान, परमात्मा, भगवान कहा जाता है और वह समस्त सत्यता का स्रोत है, संसार के आदि और अंत हैं। उन्हें अनेक नामों से संबोधित किया जाता है, जैसे कि ब्रह्म, विष्णु, शिव, देवी, राम, कृष्ण, आदि।

धार्मिक साहित्य में, ईश्वर को सत्य, शिव, ज्ञान, आनंद, और शांति का स्रोत माना जाता है, और उसके प्रति श्रद्धा, भक्ति, और समर्पण का विकास किया जाता है। ध्यान, प्रार्थना, और साधना के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर के साथ अपने आत्मा का संबंध बढ़ाता है और आत्मज्ञान की दिशा में आगे बढ़ता है।

Description

“ईश्वर” एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “सर्वशक्तिमान देव” या “सर्वशक्तिमान परमेश्वर”। यह शब्द हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, और सिख धर्म में उपयोग किया जाता है।

ईश्वर को अनन्त, अज्ञेय, अजर, अमर, अचल, निरंतर, निराकार, निर्गुण, और सर्वशक्तिमान माना जाता है। वह सृष्टि का कारण है, उसके पालन-पोषण करने वाला है, और संसार के सभी प्राणियों के मालिक हैं।

ईश्वर को भगवान, परमात्मा, भगवान कहा जाता है और वह समस्त सत्यता का स्रोत है, संसार के आदि और अंत हैं। उन्हें अनेक नामों से संबोधित किया जाता है, जैसे कि ब्रह्म, विष्णु, शिव, देवी, राम, कृष्ण, आदि।

धार्मिक साहित्य में, ईश्वर को सत्य, शिव, ज्ञान, आनंद, और शांति का स्रोत माना जाता है, और उसके प्रति श्रद्धा, भक्ति, और समर्पण का विकास किया जाता है। ध्यान, प्रार्थना, और साधना के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर के साथ अपने आत्मा का संबंध बढ़ाता है और आत्मज्ञान की दिशा में आगे बढ़ता है।

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