ईशादी नौ उपनिषद – Ishadi Nau Upanissad (Shankaracharya Bhassya)

220.00

उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है – ‘समीप उपवेशन’ या ‘समीप बैठना (ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना)। यह शब्द ‘उप’, ‘नि’ उपसर्ग तथा, ‘सद्’ धातु से निष्पन्न हुआ है। सद् धातु के तीन अर्थ हैं : विवरण-नाश होना; गति-पाना या जानना तथा अवसादन-शिथिल होना। उपनिषद् में ऋषि और शिष्य के बीच बहुत सुन्दर और गूढ संवाद है जो पाठक को वेद के मर्म तक पहुंचाता है।

उपनिषद भारतीय आध्यात्मिक चिंतन के मूलाधार है, भारतीय आध्यात्मिक दर्शन स्रोत हैं। वे ब्रह्मविद्या हैं। जिज्ञासाओं के ऋषियों द्वारा खोजे हुए उत्तर हैं। वे चिंतनशील ऋषियों की ज्ञानचर्चाओं का सार हैं।

उपनिषदों में देवता-दानव, ऋषि-मुनि, पशु-पक्षी, पृथ्वी, प्रकृति, चर-अचर, सभी को माध्यम बना कर रोचक और प्रेरणादायक कथाओं की रचना की गयी है। इन कथाओं की रचना वेदों की व्याख्या के उद्देश्य से की गई। जो बातें वेदों में जटिलता से कही गयी है उन्हें उपनिषदों में सरल ढंग से समझाया गया है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश, अग्नि, सूर्य, इन्द्र आदि देवताओं से लेकर नदी, समुद्र, पर्वत, वृक्ष तक उपनिषद के कथापात्र है।

उपनिषद् गुरु-शिष्य परम्परा के आदर्श उदाहरण हैं। प्रश्नोत्तर के माध्यम से सृष्टि के गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन उपनिषदों में सहज ढंग से किया गया है। विभिन्न दृष्टान्तों, उदाहरणों, रूपकों, संकेतों और युक्तियों द्वारा आत्मा, परमात्मा, ब्रह्म आदि का स्पष्टीकरण इतनी सफलता से उपनिषद् ही कर सके हैं।

इनकी संख्या लगभग 108 है, किन्तु इस ईशादी नौ उपनिषद में ये मुख्य 9 उपनिषद दिये गये हैं।

1 ईश,

2. ऐतरेय

3. प्रश्न,

4. तैत्तिरीय,

5. माण्डूक्

6. मुण्डक

7. कठ,

8. केन

9. श्वेताश्वतर

उपनिषदों की भौगोलिक स्थिति मध्यदेश के कुरुपांचाल से लेकर विदेह (मिथिला) तक फैली हुई है। उपनिषदों के काल के विषय मे निश्चित मत नही है पर उपनिषदो का काल ३००० ईसा पूर्व से ३५०० ई पू माना गया है। वेदो का रचना काल भी यही समय माना गया है। उपनिषद् काल का आरम्भ वुद्व से पर्याप्त पूर्व है।

Description

उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है – ‘समीप उपवेशन’ या ‘समीप बैठना (ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना)। यह शब्द ‘उप’, ‘नि’ उपसर्ग तथा, ‘सद्’ धातु से निष्पन्न हुआ है। सद् धातु के तीन अर्थ हैं : विवरण-नाश होना; गति-पाना या जानना तथा अवसादन-शिथिल होना। उपनिषद् में ऋषि और शिष्य के बीच बहुत सुन्दर और गूढ संवाद है जो पाठक को वेद के मर्म तक पहुंचाता है।

उपनिषद भारतीय आध्यात्मिक चिंतन के मूलाधार है, भारतीय आध्यात्मिक दर्शन स्रोत हैं। वे ब्रह्मविद्या हैं। जिज्ञासाओं के ऋषियों द्वारा खोजे हुए उत्तर हैं। वे चिंतनशील ऋषियों की ज्ञानचर्चाओं का सार हैं।

उपनिषदों में देवता-दानव, ऋषि-मुनि, पशु-पक्षी, पृथ्वी, प्रकृति, चर-अचर, सभी को माध्यम बना कर रोचक और प्रेरणादायक कथाओं की रचना की गयी है। इन कथाओं की रचना वेदों की व्याख्या के उद्देश्य से की गई। जो बातें वेदों में जटिलता से कही गयी है उन्हें उपनिषदों में सरल ढंग से समझाया गया है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश, अग्नि, सूर्य, इन्द्र आदि देवताओं से लेकर नदी, समुद्र, पर्वत, वृक्ष तक उपनिषद के कथापात्र है।

उपनिषद् गुरु-शिष्य परम्परा के आदर्श उदाहरण हैं। प्रश्नोत्तर के माध्यम से सृष्टि के गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन उपनिषदों में सहज ढंग से किया गया है। विभिन्न दृष्टान्तों, उदाहरणों, रूपकों, संकेतों और युक्तियों द्वारा आत्मा, परमात्मा, ब्रह्म आदि का स्पष्टीकरण इतनी सफलता से उपनिषद् ही कर सके हैं।

इनकी संख्या लगभग 108 है, किन्तु इस ईशादी नौ उपनिषद में ये मुख्य 9 उपनिषद दिये गये हैं।

1 ईश,

2. ऐतरेय

3. प्रश्न,

4. तैत्तिरीय,

5. माण्डूक्

6. मुण्डक

7. कठ,

8. केन

9. श्वेताश्वतर

उपनिषदों की भौगोलिक स्थिति मध्यदेश के कुरुपांचाल से लेकर विदेह (मिथिला) तक फैली हुई है। उपनिषदों के काल के विषय मे निश्चित मत नही है पर उपनिषदो का काल ३००० ईसा पूर्व से ३५०० ई पू माना गया है। वेदो का रचना काल भी यही समय माना गया है। उपनिषद् काल का आरम्भ वुद्व से पर्याप्त पूर्व है।

Additional information

Weight 1.2 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “ईशादी नौ उपनिषद – Ishadi Nau Upanissad (Shankaracharya Bhassya)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products