इसी जन्म में परमात्मप्राप्ति/ Issi janma me paramatma prapti

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आत्माका कल्याण या परमात्मप्राप्ति, पाप ताप ग्रस्त इस मनुष्य शरीरसे कैसे और किन साधनोंद्वारा सम्भव है? ऐसी ही विशेष, गूढतम और कामकी बातें परम श्रद्धेय जीवमुक्त ब्रह्मलीन श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा बड़ी सरल, सुबोध भाषामें प्रस्तुत पुस्तकमें समझायी गयी हैं । तत्त्वज्ञ मनीषी (लेखक) के इन अप्रकाशित, बहुमूल्य और मार्मिक प्रवचनोंको पुराने कैसेटोंसे लेखबद्ध करके आप सबकी सेवामें रखते हुए हमें अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है ।

पुस्तकके सात लेखोंमें उच्चकोटिकी साधनोपयोगी, माननीय सामग्रीसहित, आध्यात्मिक दिशा निर्देश और जीवनमें उतारने योग्य ऐसे विलक्षण भाव और प्रेरक कल्याणकारी बातें हैं, जिनके धारणसे परमात्मप्राप्ति इसी जन्ममें हो सकती है । अतएव सभी प्रेमी पाठकों, जिज्ञासुओं और साधक महानुभावोंसे इसके अधिकाधिक मनन अनुशीलनद्वारा विशेष लाभ उठानेकी हमारी विनम्र प्रार्थना है ।

मनुष्य को देश, काल, पात्र की प्रतीक्षा किये बिना तत्काल इसी जन्म में परमात्मा की प्राप्ति-हेतु संलग्न हो जाना चाहिये। इस भावना को जीवन्त करनेवाले सेठजी श्री जयदयालजी गोयन्दका के चुने हुए लेखों का अद्भुत संग्रह।

Description

आत्माका कल्याण या परमात्मप्राप्ति, पाप ताप ग्रस्त इस मनुष्य शरीरसे कैसे और किन साधनोंद्वारा सम्भव है? ऐसी ही विशेष, गूढतम और कामकी बातें परम श्रद्धेय जीवमुक्त ब्रह्मलीन श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा बड़ी सरल, सुबोध भाषामें प्रस्तुत पुस्तकमें समझायी गयी हैं । तत्त्वज्ञ मनीषी (लेखक) के इन अप्रकाशित, बहुमूल्य और मार्मिक प्रवचनोंको पुराने कैसेटोंसे लेखबद्ध करके आप सबकी सेवामें रखते हुए हमें अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है ।

पुस्तकके सात लेखोंमें उच्चकोटिकी साधनोपयोगी, माननीय सामग्रीसहित, आध्यात्मिक दिशा निर्देश और जीवनमें उतारने योग्य ऐसे विलक्षण भाव और प्रेरक कल्याणकारी बातें हैं, जिनके धारणसे परमात्मप्राप्ति इसी जन्ममें हो सकती है । अतएव सभी प्रेमी पाठकों, जिज्ञासुओं और साधक महानुभावोंसे इसके अधिकाधिक मनन अनुशीलनद्वारा विशेष लाभ उठानेकी हमारी विनम्र प्रार्थना है ।

मनुष्य को देश, काल, पात्र की प्रतीक्षा किये बिना तत्काल इसी जन्म में परमात्मा की प्राप्ति-हेतु संलग्न हो जाना चाहिये। इस भावना को जीवन्त करनेवाले सेठजी श्री जयदयालजी गोयन्दका के चुने हुए लेखों का अद्भुत संग्रह।

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