आदर्श संत/ Aadarsh Sant

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इस पुस्तक में चुने हुए सोलह संत-महात्मा-योगी-साधकों के चरित्र दिये गये हैं। श्री ज्ञानेश्वर, श्री नामदेव, श्री तुकाराम, श्री रामकृष्ण परमहंस इत्यादि।

आदर्श संत वह व्यक्ति होता है जो अपने जीवन में उच्च मूल्यों, नैतिकता, और धार्मिकता का पालन करता है और अपने आस-पास के लोगों को प्रेरित करता है। उन्हें आदर्श संत कहा जाता है क्योंकि उनका जीवन आदर्शों और मूल्यों की प्रेरणा से भरा होता है और वे अपने अनुयायियों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं।

आदर्श संत की विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं:

  1. ध्यान की शक्ति: आदर्श संत अपने अंदर के शक्तियों को जानते हैं और उन्हें विकसित करने के लिए ध्यान की शक्ति का उपयोग करते हैं।
  2. निष्काम सेवा: वे निष्काम भाव से दूसरों की सेवा करते हैं और समाज के उत्थान के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करते हैं।
  3. सामंजस्य और प्रेम: आदर्श संत सभी लोगों के प्रति समान और प्रेमपूर्ण भाव रखते हैं और वे सभी को अपने प्रेम से आवृत करते हैं।
  4. नैतिकता: वे नैतिक और निष्कलंक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके जीवन की एक सजीव उदाहरण होते हैं।
  5. शांति और समझदारी: आदर्श संत हमेशा शांति, संतुलन, और समझदारी का पालन करते हैं, जो उन्हें हर परिस्थिति में स्थिर रहने में मदद करता है।
  6. समाज सेवा: वे अपने समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं और उसे उन्नति के रास्ते पर लाने का प्रयास करते हैं।

इन सभी गुणों के साथ, आदर्श संत अपने जीवन में आदर्शों को साकार करने के लिए एक उत्कृष्ट उदाहर

Description

इस पुस्तक में चुने हुए सोलह संत-महात्मा-योगी-साधकों के चरित्र दिये गये हैं। श्री ज्ञानेश्वर, श्री नामदेव, श्री तुकाराम, श्री रामकृष्ण परमहंस इत्यादि।

आदर्श संत वह व्यक्ति होता है जो अपने जीवन में उच्च मूल्यों, नैतिकता, और धार्मिकता का पालन करता है और अपने आस-पास के लोगों को प्रेरित करता है। उन्हें आदर्श संत कहा जाता है क्योंकि उनका जीवन आदर्शों और मूल्यों की प्रेरणा से भरा होता है और वे अपने अनुयायियों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं।

आदर्श संत की विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं:

  1. ध्यान की शक्ति: आदर्श संत अपने अंदर के शक्तियों को जानते हैं और उन्हें विकसित करने के लिए ध्यान की शक्ति का उपयोग करते हैं।
  2. निष्काम सेवा: वे निष्काम भाव से दूसरों की सेवा करते हैं और समाज के उत्थान के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करते हैं।
  3. सामंजस्य और प्रेम: आदर्श संत सभी लोगों के प्रति समान और प्रेमपूर्ण भाव रखते हैं और वे सभी को अपने प्रेम से आवृत करते हैं।
  4. नैतिकता: वे नैतिक और निष्कलंक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके जीवन की एक सजीव उदाहरण होते हैं।
  5. शांति और समझदारी: आदर्श संत हमेशा शांति, संतुलन, और समझदारी का पालन करते हैं, जो उन्हें हर परिस्थिति में स्थिर रहने में मदद करता है।
  6. समाज सेवा: वे अपने समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं और उसे उन्नति के रास्ते पर लाने का प्रयास करते हैं।

इन सभी गुणों के साथ, आदर्श संत अपने जीवन में आदर्शों को साकार करने के लिए एक उत्कृष्ट उदाहर

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