Description
निःस्वार्थ सेवा की महिमा, पवित्र संगति की प्रकृति और रूप, इन्द्रिय-भोग का स्वरूप और स्वरूप आदि विभिन्न विषयों के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार के आसान साधनों की उत्कृष्ट व्याख्या है।
आत्म कल्याण या आत्मशान्ति की कामना करते हुए हम यहां जिन-जिन उपायों की चर्चा करना चाहते हैं, वह हमारे लिए नए नहीं हैं क्योंकि प्राचीनकाल से ही हमारे ऋषि-मुनियों, संतों, पीर-फकीरों और समाज सुधारकों ने अपने-अपने प्रयासों व अनुभवों से देश, काल और पात्र देख कर उनका कई बार प्रचार एवं प्रसार किया है। यह उसी कड़ी को आगे बढ़ाने का एक छोटा सा प्रयास है।
Additional information
Weight | 0.2 g |
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