अमूल्य वचन/ Amoolya Vachan

28.00

इस पुस्तककी उपादेयताके विषयमें इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि यह परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा रचित तत्त्व चिन्तामणि नामक पुस्तकके द्वितीय भागकी एक किरण है ।

संसार के अनेकानेक विद्वानों ने जीवन उपयोगी बाते कही हैं जिन्हें हम साधारण भाषा में अनमोल वचन कहते हैं अर्थात ऐसी बातें जो अनमोल हैं और जिनके द्वारा हम अपने जीवन में नई उंमग एवं उत्साह का संचार कर सकते हैं। इन्हें सूक्ति (सु + उक्ति) या सुभाषित (सु +भाषित) भी कहते हैं।

इन बातों को अनमोल इसलिए भी कहा जाता हैं क्योंकि यदि हम इन बातों का सार समझेगें तो हम पायेंगे की इन बातो का कोई मोल नहीं लगा सकता, केवल इन बातो को अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन की दिशा को बदल सकते हैं और जीवन की दिशा बदलनें वाली बातों का भी कभी कोई मोल लगा सकता हैं ये बातें तो अनमोल होती हैं।

Description

इस पुस्तककी उपादेयताके विषयमें इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि यह परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा रचित तत्त्व चिन्तामणि नामक पुस्तकके द्वितीय भागकी एक किरण है ।

संसार के अनेकानेक विद्वानों ने जीवन उपयोगी बाते कही हैं जिन्हें हम साधारण भाषा में अनमोल वचन कहते हैं अर्थात ऐसी बातें जो अनमोल हैं और जिनके द्वारा हम अपने जीवन में नई उंमग एवं उत्साह का संचार कर सकते हैं। इन्हें सूक्ति (सु + उक्ति) या सुभाषित (सु +भाषित) भी कहते हैं।

इन बातों को अनमोल इसलिए भी कहा जाता हैं क्योंकि यदि हम इन बातों का सार समझेगें तो हम पायेंगे की इन बातो का कोई मोल नहीं लगा सकता, केवल इन बातो को अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन की दिशा को बदल सकते हैं और जीवन की दिशा बदलनें वाली बातों का भी कभी कोई मोल लगा सकता हैं ये बातें तो अनमोल होती हैं।

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