Description
“अभिलाषामृत” एक गहन भावनात्मक एवं भक्ति से ओत-प्रोत ग्रंथ है, जिसे परम श्रद्धेय श्री राधेश्याम बांका जी ने रचा है। यह ग्रंथ श्रीकृष्ण प्राप्ति की तीव्रतम अभिलाषा को केंद्र में रखकर लिखा गया है, जहाँ एक साधक की अंतरतम व्याकुलता और तड़प को अत्यंत सरस एवं हृदयस्पर्शी शैली में व्यक्त किया गया है।
मुख्य विशेषताएँ:
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यह पुस्तक वृंदावन रसिक वाणी और गीताप्रेस गोरखपुर के सहयोग से प्रकाशित की गई है।
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“अभिलाषामृत” में एक साधक की भगवान श्रीकृष्ण की साक्षात् प्राप्ति हेतु हृदय से उठती गहन पुकार को दर्शाया गया है।
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पुस्तक में राधा बाबा, हनुमान प्रसाद पोद्दार जी, एवं अन्य महापुरुषों के जीवन और भक्ति की झलकियाँ भी मिलती हैं, जो साधकों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
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यह ग्रंथ भावप्रधान भक्ति मार्ग का उत्तम उदाहरण है, जो साधक को आत्मचिंतन, अनुराग और समर्पण की ओर प्रेरित करता है।
श्री राधेश्याम बांका जी एक अत्यंत श्रद्धेय और भावमय लेखक हैं, जिन्होंने कई भक्तिमय ग्रंथों की रचना की है। उनकी लेखनी में श्रृंगार-रसिक भक्ति, महापुरुषों की जीवनगाथा, और शुद्ध हृदय से ईश्वर की प्राप्ति की उत्कंठा देखने को मिलती है।
उनके अन्य प्रमुख ग्रंथ:
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प्रियतम सौरभ – राधा बाबा की कविताओं पर आधारित विस्तृत व्याख्या (3 खंडों में)
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प्रीति रसावतार महाभावनिमग्न श्री राधा बाबा – दो भागों में प्रकाशित, राधा बाबा की जीवनी
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परिकर माला – पाँच खंडों में, हनुमान प्रसाद पोद्दार जी आदि भक्तों का जीवन
निष्कर्ष:
“अभिलाषामृत” एक ऐसा आध्यात्मिक रत्न है जो भक्तों को श्रीकृष्ण की निष्काम भक्ति और पूर्ण समर्पण की अनुभूति कराता है। यह उन सभी साधकों के लिए अनमोल है, जो आध्यात्मिक पथ पर प्रेम, भक्ति और विरह के माध्यम से आगे बढ़ना चाहते हैं।
Additional information
Weight | 0.2 g |
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