साधक में साधुता/ Sadhak me Sadhuta

60.00

Description

अध्यात्म जगत में सत्संग की बड़ी महिमा है। जो व्यक्ति मानव जीवन को प्राप्त कर इस जन्म में जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होना चाहता है, अर्थात जिसके हृदय में आत्मा को ग्रहण करने और उसके लिए निरंतर कार्य करने की प्रबल भावना हो, वही ‘साधक’ होता है। क्योंकि साधक में साधक का सात्त्विकता होना चाहिए, ध्यान के बिना साधना सिद्ध नहीं हो सकती। वास्तव में सांसारिक लोग साधुता से अनजान हैं, वे व्यवहार हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि उनके व्यवहार और जीवन में ऋषि कैसे आए।

Additional information

Weight 0.2 kg

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.