बालकों की बोलचाल/ Balakon ki Bolchal

20.00

जैसा कि पुस्तक के नाम से स्पष्ट है, इसमें बालकों को दैनिक व्यवहार की शिक्षा दी गयी है। बच्चे अपने मातापिता को देखकर ही सब कुछ सीखते है जैसे आदतें, तौरतरीके, बोलचाल इत्यादि। । बच्चों के लिए उनके मातापिता हमेशा उनके उदहारण होते हैं, कभीकभी मुसीबत पड़ने पर वो उनके द्वारा बताए गए मार्गदर्शन का पालन भी करते हैं, और बच्चों को छोटी उम्र से ही यह आदत पड़ जाती है।जैसेजैसे बच्चे बढ़ते हैं, वह अपने मातापिता के व्यवहार और कार्यों का अनुकरण करते हैं, बच्चों के लिए उनके मातापिता आदर्श होते हैं। उनकी बुद्धिमत्ता और आदतें भी बच्चों में जाती है हैं।इसलिए, बच्चों को अच्छी और बुरी आदतों के बीच का अंतर समझाना और अच्छी आदतों को अपनाने के लिए कहना जरूरी होता है।

Description

जैसा कि पुस्तक के नाम से स्पष्ट है, इसमें बालकों को दैनिक व्यवहार की शिक्षा दी गयी है। बच्चे अपने मातापिता को देखकर ही सब कुछ सीखते है जैसे आदतें, तौरतरीके, बोलचाल इत्यादि। । बच्चों के लिए उनके मातापिता हमेशा उनके उदहारण होते हैं, कभीकभी मुसीबत पड़ने पर वो उनके द्वारा बताए गए मार्गदर्शन का पालन भी करते हैं, और बच्चों को छोटी उम्र से ही यह आदत पड़ जाती है।जैसेजैसे बच्चे बढ़ते हैं, वह अपने मातापिता के व्यवहार और कार्यों का अनुकरण करते हैं, बच्चों के लिए उनके मातापिता आदर्श होते हैं। उनकी बुद्धिमत्ता और आदतें भी बच्चों में जाती है हैं।इसलिए, बच्चों को अच्छी और बुरी आदतों के बीच का अंतर समझाना और अच्छी आदतों को अपनाने के लिए कहना जरूरी होता है।

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