Description
उस ज्ञानका कोई ज्ञाता नहीं है, कोई धर्मी नहीं है, मालिक नहीं है। कारण कि वह ज्ञान स्वयंप्रकाश है, अतः स्वयं से ही स्वयं का ज्ञान होता है। वास्तव में ज्ञान होता नहीं है, प्रत्युत अज्ञान मिटता है। अज्ञान मिटाने को ही तत्त्वज्ञान का होना कह देते हैं।
जिज्ञासु साधकों की आध्यात्मिक यात्रा को सुगम बनाने के उद्देश्य से स्वामी श्रीरामसुखदास जी महाराज कृत तत्त्वज्ञान क्या है? शब्द से शब्दातीत, अविनाशी रस आदि अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर प्रवचनों का संकलन।
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