Description
अष्टयाम सेवा पद्धति
प्रकट सेवा में राति किन्वा भाव की स्थिति कूप जल के समान होती है भावना में वह नदी के समान होती है और उसके ऊपर नित्य बिहार रस में समुंद्र के समान हो जाती है
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