उपदेशप्रद कहानियाँ/Updeshaprad-Kahaniyan

25.00

Description

उपदेशप्रद बारह कहानियोंका यह संग्रह ब्रह्मलीन परमश्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दका (आप सबके सुपरिचित आध्यात्मिक विचारक एवं महापुरुष)-द्वारा लिखित है । श्रीगोयन्दकाजीके पुराने लेखोंसे संकलित की गयीं ये शिक्षाप्रद और उपदेशात्मक छोटी-बड़ी कथाएँ रोचक होनेके साथ-साथ लौकिक और पारलौकिक उन्नतिमें बड़ी ही सहायक हैं । सरल, सुबोध भाषामें लिखी हुई ये कहानियाँ- ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, सेवा, परोपकार, ईश्वर-विश्वास और भगवद्भक्तिका उपदेश (प्रेरणा) देनेवाली होनेसे सभी आयु- वर्गके पाठकोंके लिये जीवनोपयोगी एवं कल्याणकारी मार्ग-दर्शक सिद्ध हो सकती हैं ।

इन कहानियोंकी सार्वजनिक उपयोगिता और महत्त्वके विचारसे इन्हें जनहितमें प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है । सभी पाठकों-विशेषत: परमार्थ-पथके पथिकों और जिज्ञासुओंसे हमारा यह विनम्र अनुरोध है कि वे इसकी उत्तम पठनीय सामग्रीको एक बार अवश्य पढ़ें और दूसरोंको पढ़नेके लिये भी प्रेरित करें । यह आशा की जाती है कि इस सर्वहितकारी और परम उपादेय पुस्तकसे अधिकाधिक सज्जन विशेषरूपसे लाभान्वित होंगे ।

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