Description
यह कृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों की स्थिति का ज्ञान होता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार गोकुल से कंस के अत्याचार से बचने के लिए नंदजी कुटुंबियों और सजातीयों के साथ वृन्दावन निवास के लिए आये थे। विष्णुपुराण में इसी प्रसंग का उल्लेख है। विष्णुपुराण में अन्यत्र वृन्दावन में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन भी है।
यह वृन्दावन का रस है,इसको”कुञ्ज रस”कहते हैं. और वृन्दावन के श्यामसुंदर को”कुञ्ज बिहारी”कहते हैं. इसके आगे एक और रस होता है उसे”निकुंज रस”कहते हैं. यहाँ जीव नहींजा सकता, ये ललिता, विशाखा आदि का स्थान है.उसके आगे “निभृत निकुंज” होता है, यहाँ ललिता, विशाखा आदि भी नहीं जा सकतीं, यहाँ केवल श्री राधा-कृष्ण ही रहते हैं. हम लोगों की जो अंतिम पहुँच है, वो “कुञ्ज रस” है. इसलिए हम चाकर “कुञ्ज बिहारी” के हैं.अष्टयाम लीला के अंतर्गत अष्टसखियां श्यामा श्याम कौ राजभोग(दोपहर के भोजन) के लिए आमंत्रित करतीं हैं और भी निकुंज लीलाएँ है राधा माधव कि इन लीलाओं को ऐसा कौन है जो अपनी जिव्हा से गा सकता है.इसमें त्रुटि तो अवश्य ही होगी, जिसके लिए हम क्षमा प्रार्थी है.
Additional information
Weight | 0.3 kg |
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