व्रज-भावकी उपासना/ Braj- Bhavki Upasana

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“व्रज-भाव की उपासना” एक अत्यंत भावप्रवण आध्यात्मिक कृति है, जिसमें श्रीकृष्ण-भक्ति के उस विशुद्ध रूप का वर्णन किया गया है जो ब्रज के गोपियों, ग्वालों और राधारानी की निष्काम, निष्कलंक और सम्पूर्ण समर्पण युक्त भक्ति से ओत-प्रोत है।

इस पुस्तक में लेखक हनुमानप्रसाद पोद्दार जी ने व्रज के प्रेममयी भाव को न केवल शब्दों में संजोया है, बल्कि उसके माध्यम से यह भी बताया है कि यदि कोई साधक भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे अर्थों में पाना चाहता है, तो उसे ब्रजवासियों के भाव को अपनाना होगा — जहाँ न तर्क है, न भय, न ही प्रतिफल की अपेक्षा; बस केवल प्रेम है, समर्पण है।


🕉️ मुख्य विषय-वस्तु:

  • व्रजभाव क्या है?
    आत्मा का वह भाव जिसमें भगवान से कोई भौतिक अपेक्षा नहीं होती, केवल आत्मीयता होती है।

  • गोपियों की निष्काम भक्ति:
    जहाँ कोई व्रत, यज्ञ, या तप नहीं — केवल ह्रदय का अर्पण है।

  • राधा-रानी की उपासना:
    प्रेम की पराकाष्ठा और श्रीकृष्ण के साथ अद्वितीय एकत्व।

  • व्रज के ग्वालों और गोप-बालकों का सरल स्नेह:
    ऐसा प्रेम जो भगवान को भी वशीभूत कर दे।

  • साधक के लिए मार्गदर्शन:
    किस प्रकार सांसारिक बंधनों से ऊपर उठकर ब्रज-भाव में स्थित हुआ जा सकता है।


🌸 विशेषताएँ:

  • सरल, ह्रदयस्पर्शी भाषा

  • भक्ति के गूढ़ भावों की सहज व्याख्या

  • प्रेम और उपासना का अद्वितीय समन्वय

  • श्रीकृष्ण और राधा के मधुर लीलाओं का वर्णन


उपयुक्त पाठकों के लिए:

यह पुस्तक उन साधकों, भक्तों और जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत उपयोगी है जो भक्ति को केवल कर्मकांड या विधि-विधान से नहीं, बल्कि भाव और समर्पण से अपनाना चाहते हैं।

यदि आप भगवान श्रीकृष्ण के प्रति एक मधुर, आत्मीय और अव्यक्त प्रेम के मार्ग को जानना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अनमोल है।

Description

“व्रज-भाव की उपासना” एक अत्यंत भावप्रवण आध्यात्मिक कृति है, जिसमें श्रीकृष्ण-भक्ति के उस विशुद्ध रूप का वर्णन किया गया है जो ब्रज के गोपियों, ग्वालों और राधारानी की निष्काम, निष्कलंक और सम्पूर्ण समर्पण युक्त भक्ति से ओत-प्रोत है।

इस पुस्तक में लेखक हनुमानप्रसाद पोद्दार जी ने व्रज के प्रेममयी भाव को न केवल शब्दों में संजोया है, बल्कि उसके माध्यम से यह भी बताया है कि यदि कोई साधक भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे अर्थों में पाना चाहता है, तो उसे ब्रजवासियों के भाव को अपनाना होगा — जहाँ न तर्क है, न भय, न ही प्रतिफल की अपेक्षा; बस केवल प्रेम है, समर्पण है।


🕉️ मुख्य विषय-वस्तु:

  • व्रजभाव क्या है?
    आत्मा का वह भाव जिसमें भगवान से कोई भौतिक अपेक्षा नहीं होती, केवल आत्मीयता होती है।

  • गोपियों की निष्काम भक्ति:
    जहाँ कोई व्रत, यज्ञ, या तप नहीं — केवल ह्रदय का अर्पण है।

  • राधा-रानी की उपासना:
    प्रेम की पराकाष्ठा और श्रीकृष्ण के साथ अद्वितीय एकत्व।

  • व्रज के ग्वालों और गोप-बालकों का सरल स्नेह:
    ऐसा प्रेम जो भगवान को भी वशीभूत कर दे।

  • साधक के लिए मार्गदर्शन:
    किस प्रकार सांसारिक बंधनों से ऊपर उठकर ब्रज-भाव में स्थित हुआ जा सकता है।


🌸 विशेषताएँ:

  • सरल, ह्रदयस्पर्शी भाषा

  • भक्ति के गूढ़ भावों की सहज व्याख्या

  • प्रेम और उपासना का अद्वितीय समन्वय

  • श्रीकृष्ण और राधा के मधुर लीलाओं का वर्णन


उपयुक्त पाठकों के लिए:

यह पुस्तक उन साधकों, भक्तों और जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत उपयोगी है जो भक्ति को केवल कर्मकांड या विधि-विधान से नहीं, बल्कि भाव और समर्पण से अपनाना चाहते हैं।

यदि आप भगवान श्रीकृष्ण के प्रति एक मधुर, आत्मीय और अव्यक्त प्रेम के मार्ग को जानना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अनमोल है।

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