Description
“श्रीकृष्ण चरितामृतम् (पूर्वार्ध)” भक्तियोग और कृष्ण-लीलाओं से परिपूर्ण एक दिव्य ग्रंथ है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जीवनचरित्र को भावपूर्ण एवं आध्यात्मिक शैली में प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक के लेखक हरी शरण जी हैं, जिनका लेखन श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पित भक्ति को दर्शाता है।
यह पुस्तक श्रीकृष्ण के बाल्यकाल, किशोरावस्था, गोकुल-नन्दगांव-वरसाना की लीलाओं, रासलीला, ग्वाल-बालों संग उनके हास-परिहास, और मथुरा प्रस्थान तक की कथाओं को भावनात्मक तथा भक्तिपूर्ण दृष्टिकोण से वर्णित करती है।
🌼 मुख्य विषयवस्तु:
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भगवान श्रीकृष्ण का जन्म, नामकरण और बाललीलाएँ
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पूतना, तृणावर्त, शकटासुर वध जैसी राक्षस वध लीलाएँ
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यशोदा माता के साथ वात्सल्य भाव और नवनीत चोरी की चंचल लीलाएँ
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गोवर्धन लीला और इन्द्र का दमन
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रासलीला और गोपियों के प्रति श्रीकृष्ण का प्रेम
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कंस वध से पहले तक की सारी घटनाएँ (इस “पूर्वार्ध” भाग में)
✨ पुस्तक की विशेषताएँ:
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श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित एक सुंदर एवं सरस भक्तिकाव्यात्मक प्रस्तुति
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सरल हिंदी भाषा में, किंतु गहराई से भरी हुई शुद्ध भक्ति-भावना
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श्रीकृष्ण के चरित्र के माध्यम से भक्त और ईश्वर के रिश्ते को आत्मिक रूप से दर्शाया गया है
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हर पाठक को श्रीकृष्ण की लीला में डुबो देने वाली शैली
🙏 पुस्तक क्यों पढ़ें?
यदि आप भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की लीलाओं को केवल कथा के रूप में नहीं, बल्कि एक भक्त के हृदय से देखना चाहते हैं, तो “श्रीकृष्ण चरितामृतम्” आपके लिए उपयुक्त ग्रंथ है। यह ग्रंथ श्रीकृष्ण की छवि को भावनाओं, प्रेम, भक्ति और आत्मीयता से ओतप्रोत कर देता है।
पुस्तक के माध्यम से पाठक यह अनुभव करता है कि कृष्ण केवल एक ऐतिहासिक या पौराणिक पात्र नहीं, बल्कि उसके अपने जीवन का अंतरंग साथी, मार्गदर्शक और प्रेमस्वरूप ईश्वर हैं।
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