Description
‘महाभागा व्रज देवियाँ’ पूज्य श्री राधा बाबा जी द्वारा रचित एक दिव्य एवं भावपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें ब्रज की गोपिकाओं, विशेषतः अष्ट महा सखियों (ललिता, विशाखा आदि) की अनुपम भक्ति, सेवा-भाव, त्याग और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी पूर्ण समर्पित प्रेमाभक्ति का हृदयस्पर्शी वर्णन है।
इस ग्रंथ में यह दर्शाया गया है कि ब्रज की गोपियाँ केवल रूपवती नहीं, अपितु भाववती, भक्ति में निष्णात, तथा अपने इष्ट श्रीकृष्ण के चरणों में पूर्ण रूप से समर्पित साधिकाएँ थीं। उनका प्रेम सांसारिक नहीं था, बल्कि आत्मा की परमात्मा के प्रति पुकार थी — जो सम्पूर्ण वेदों, यज्ञों और तपों से भी श्रेष्ठ था।
🌸 मुख्य विषयवस्तु:
-
अष्ट सखियों की महिमा एवं उनका श्रीराधा-कृष्ण के साथ दिव्य लीलाओं में योगदान
-
गोपियों की निष्काम सेवा एवं अद्भुत समर्पण
-
ब्रज-जीवन की सात्विकता, सहजता और उसकी आध्यात्मिक ऊँचाई
-
प्रेम-भक्ति की सर्वोच्च अवस्था का विवेचन
-
श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम की रहस्यात्मक झलकियाँ
✨ उदाहरण स्वरूप भावपूर्ण अंश:
“स्वामिन! बड़े-बड़े यज्ञ आपको अब तक तृप्त नहीं कर सके,
परन्तु ब्रज की गोपिकाएँ धन्य हैं, जिनके बालक बनकर
आपने उनके स्तनों से निसृत दुग्ध-सुधा का पान किया है।”
यह पंक्ति स्पष्ट करती है कि ब्रज की गोपियों की निष्कलंक सेवा और वात्सल्य भावना कितनी ऊँची थी कि स्वयं श्रीकृष्ण को भी वह अधिक प्रिय लगीं, जो उन्हें वैदिक यज्ञों में प्राप्त नहीं हुईं।
श्री राधा बाबा (स्वामी चक्रधर जी महाराज) गीता वाटिका, गोरखपुर के दिव्य संत थे। उनका सम्पूर्ण जीवन श्रीराधा के माधुर्य-भक्ति में लीन रहा। उनकी वाणी में रस, करुणा और सच्ची भक्ति की धारा बहती थी। उनके द्वारा रचित अन्य ग्रंथों में महाभाग गोपियाँ, गिरिराज गुंजन, श्री केलिकुंज लीला आदि प्रमुख हैं।
Additional information
Weight | 0.2 g |
---|
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.