साधन की आवश्यकता/ Sadhan Ki Aavashyakta

30.00

Description

श्री रामचरितमानस के अनुसार साधन का  अर्थ ध्यान भजन  होता है जैसे-

साधन धाम मोक्ष कर द्वारा, पाई न जेहि परलोक संवारा।।654।।

अर्थात: यह शरीर साधनों का घर और मोक्ष का द्वार है; इसे पाकर जिसने परलोक (मुक्ति) को नहीं सुधारा।

 साधन का अर्थ किसी कार्य के लिए पर्याप्त वस्तुओं का संग्रह।

धर्म का प्रभाव भी शब्दों के अर्थ में पड़ता है। धर्म को केन्द्र में रखकर जो लड़ते हैं वे अक्सर अपने नकारात्मक शब्दों को अपने विरोधी धर्म से जोड़ने का प्रयास करते है। एक उदाहरण हैं ‘काफ़िर’ (श्रद्धा न रखने वाला) जिसे कभी-कभी इस्लाम को मानने वाले हिन्दुओं से जोड़ते हैं। उसी तरह आज हिन्दुओं के यहां ‘जेहाद’ (पवित्र उद्देश्य के साथ संघर्ष करना) शब्द का अर्थ आतंकवाद से जोड़ा जाने लगा है। 

भाषा मानव व्यवहार का प्रमुख साधन है। मनुष्य स्वयं परिवर्तनशील है इसलिए उनका प्रमुख व्यवहार भाषा भी परिवर्तनशील है। भाषा में परिवर्तन की यह प्रक्रिया उसके अंगों को भी प्रभावित करती है। अर्थ भी उससे अप्रभावित नहीं रहता। अर्थ परिवर्तन के कारण और दिशाओं का यहां संक्षेप में वर्णन प्रस्तुत है। 

Additional information

Weight 0.3 kg

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.