श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र/Shri Vishnu Sahasranama Stotram

20.00

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम् 

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र ग्रंथ है, जिसमें भगवान विष्णु के 1000 नामों का संकलन है। यह महाभारत के अनुशासन पर्व (अध्याय 149) में वर्णित है और इसे भीष्म पितामह ने कुरुक्षेत्र में युधिष्ठिर को सुनाया था। इस स्तोत्र का पाठ करने से शांति, समृद्धि, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


1. श्री विष्णु सहस्रनाम का महत्त्व:

  • भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार (संरक्षक) के रूप में पूजा जाता है।

  • सहस्रनाम में भगवान के विभिन्न स्वरूपों, गुणों और शक्तियों का वर्णन किया गया है।

  • इसका नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, संकटों का निवारण और जीवन में सफलता मिलती है।

  • यह सभी कष्टों को दूर करने और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।


2. श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र की रचना:

(क) प्रारंभिक संवाद:

  • इसमें युधिष्ठिर और भीष्म पितामह के बीच संवाद है।

  • युधिष्ठिर प्रश्न पूछते हैं: “सबसे बड़ा धर्म क्या है? सबसे उत्तम भक्ति मार्ग कौन सा है?”

  • भीष्म उत्तर देते हैं कि भगवान विष्णु के 1000 नामों का पाठ करने से सभी दुखों का अंत होता है

(ख) मुख्य स्तोत्र:

Description

Shri Vishnu Sahasranama Stotram is a revered Sanskrit hymn from the Mahabharata (Anushasana Parva, Chapter 149), consisting of 1,000 names of Lord Vishnu. It was recited by Bhishma Pitamaha to Yudhishthira on the battlefield of Kurukshetra. This stotram is considered highly powerful and is a core part of many Hindu devotional practices.

Meaning & Significance:

  • Vishnu is regarded as the Supreme Being (Parabrahma) and the preserver of the universe in Hinduism.

  • The 1,000 names in the stotram describe various aspects, qualities, and forms of Lord Vishnu.

  • Chanting or listening to this hymn is believed to bring peace, prosperity, and liberation (moksha).

  • It is often recited for protection, spiritual upliftment, and removal of obstacles.

Structure of the Stotram:

  1. Introduction:

    • Begins with a short conversation between Yudhishthira and Bhishma, where Yudhishthira asks about the greatest path to salvation.

    • Bhishma replies that chanting the 1,000 names of Vishnu is the best way to attain peace and divine blessings.

  2. The Main Stotram:

    • The 1,000 names are chanted in a poetic and rhythmic manner.

    • Each name highlights a unique attribute, power, or incarnation of Lord Vishnu.

    • Some notable names: Narayana (the refuge-giver), Madhava (the Lord of knowledge), Govinda (the protector of cows and beings), Vasudeva (the all-pervading one).

  3. Phala Shruti (Benefits of Chanting):

    • The concluding section describes the benefits of reciting the Vishnu Sahasranama.

    • It assures freedom from sins, divine protection, success, health, and ultimately, liberation.

When & How to Chant?

  • Best recited in the morning or evening, preferably after a bath.

  • Can be chanted daily or on special occasions like Ekadashi, Vaikuntha Ekadashi, and Thursdays.

  • Chanting with faith, devotion, and concentration enhances its benefits.

Conclusion:

The Shri Vishnu Sahasranama Stotram is one of the most sacred hymns in Hindu tradition, filled with divine vibrations. It is a path to inner peace, divine grace, and spiritual enlightenment.

Would you like a detailed explanation of each name or the Sanskrit text with meaning? Let me know how I can help!

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम् 

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र ग्रंथ है, जिसमें भगवान विष्णु के 1000 नामों का संकलन है। यह महाभारत के अनुशासन पर्व (अध्याय 149) में वर्णित है और इसे भीष्म पितामह ने कुरुक्षेत्र में युधिष्ठिर को सुनाया था। इस स्तोत्र का पाठ करने से शांति, समृद्धि, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


1. श्री विष्णु सहस्रनाम का महत्त्व:

  • भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार (संरक्षक) के रूप में पूजा जाता है।

  • सहस्रनाम में भगवान के विभिन्न स्वरूपों, गुणों और शक्तियों का वर्णन किया गया है।

  • इसका नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, संकटों का निवारण और जीवन में सफलता मिलती है।

  • यह सभी कष्टों को दूर करने और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।


2. श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र की रचना:

(क) प्रारंभिक संवाद:

  • इसमें युधिष्ठिर और भीष्म पितामह के बीच संवाद है।

  • युधिष्ठिर प्रश्न पूछते हैं: “सबसे बड़ा धर्म क्या है? सबसे उत्तम भक्ति मार्ग कौन सा है?”

  • भीष्म उत्तर देते हैं कि भगवान विष्णु के 1000 नामों का पाठ करने से सभी दुखों का अंत होता है

(ख) मुख्य स्तोत्र:

  • इसमें भगवान विष्णु के 1000 नामों का उच्चारण किया गया है।

  • प्रत्येक नाम भगवान के किसी विशेष गुण, शक्ति या अवतार का प्रतीक है।

  • कुछ प्रमुख नाम:

    • नारायण – जो शरण देने वाले हैं।

    • गोविंद – जो गायों और प्राणियों के रक्षक हैं।

    • मधुसूदन – जो असुरों का संहार करने वाले हैं।

    • वासुदेव – जो सर्वत्र व्याप्त हैं।

(ग) फल श्रुति (लाभ और महत्व):

  • इस स्तोत्र के पाठ या श्रवण से सभी पापों का नाश होता है

  • यह रोग, संकट और शत्रुओं से रक्षा करता है

  • इसे नित्य पाठ करने से मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति होती है


3. पाठ का सही समय और विधि:

  • प्रातःकाल या संध्याकाल में स्नान करके शुद्ध होकर पाठ करना उत्तम माना जाता है।

  • इसे एकादशी, गुरुवार, वैकुंठ एकादशी या विशेष धार्मिक अवसरों पर पढ़ना अत्यंत शुभ होता है।

  • यदि संपूर्ण पाठ संभव न हो तो केवल “श्री विष्णु सहस्रनाम” का संक्षिप्त पाठ भी लाभकारी होता है।


4. निष्कर्ष:

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावशाली मार्ग है। यह मन को शुद्ध करता है, जीवन में सुख-समृद्धि लाता है और मोक्ष प्रदान करता है। इसकी भक्ति और श्रद्धा से किया गया पाठ जीवन को शुभ और मंगलकारी बनाता है

🙏 “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” 🙏

क्या आप इसका विस्तृत अर्थ, संस्कृत पाठ या हिंदी अनुवाद चाहते हैं?

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