श्रीमद्भगवद्गीता मूलम् /shrimadbhagwatgeeta mulam

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श्रीमद्भगवद्गीता मूलम्” (Shrimad Bhagavad Gita Moolam) का अर्थ होता है — श्रीमद्भगवद्गीता का मूल रूप”
यह ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व का एक हिस्सा है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्धभूमि में उपदेश दिया था।

संक्षिप्त विवरण हिंदी में:

श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म का अत्यंत पवित्र और प्रेरणादायक ग्रंथ है। इसमें 700 श्लोक हैं, जो जीवन, कर्म, धर्म, भक्ति, ज्ञान और मोक्ष के गहन रहस्यों को उजागर करते हैं।
अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में मोहग्रस्त होकर शस्त्र छोड़ बैठते हैं, तब भगवान श्रीकृष्ण उन्हें जीवन का असली उद्देश्य, आत्मा की अमरता, और निष्काम कर्म का उपदेश देते हैं।

मुख्य विषय:

  • कर्मयोग (कर्म करते हुए फल की इच्छा न करना)

  • ज्ञानयोग (आत्मा व परमात्मा का ज्ञान)

  • भक्ति योग (ईश्वर में पूर्ण समर्पण)

  • अध्यात्म और प्रकृति का भेद

  • आत्मा की अमरता और पुनर्जन्म का सिद्धांत

  • धर्म के प्रति कर्तव्य

“मूलम्” शब्द का अर्थ है “मूल श्लोक” — यानी संस्कृत के शुद्ध श्लोक बिना किसी टीका (व्याख्या) या भाष्य (टिप्पणी) के।
“श्रीमद्भगवद्गीता मूलम् ग्रंथ में केवल भगवद्गीता के संस्कृत श्लोक दिए होते हैं, जिनमें भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य वाणी मूल रूप में संकलित है।

Description

Shrimad Bhagavad Gita Moolam refers to the original Sanskrit text of the Bhagavad Gita, without any commentary or translation — just the verses (shlokas) as spoken in the Mahabharata.
The word-by-word breakdown is:

  • Shrimad: Revered, glorious, sacred

  • Bhagavad: Of the Lord (Bhagavan — referring to God, mainly Krishna)

  • Gita: Song

  • Moolam: Root, original text

So, Shrimad Bhagavad Gita Moolam” means “The original sacred song of the Lord” — specifically, the 700 Sanskrit verses spoken by Lord Krishna to Arjuna on the battlefield of Kurukshetra.

It is considered one of the highest spiritual teachings, covering topics like:

  • Duty (Dharma)

  • Righteous action (Karma)

  • Devotion (Bhakti)

  • Knowledge (Jnana)

  • Liberation (Moksha)

Many people chant or study the Moolam daily because it is believed that even hearing the original Sanskrit brings spiritual merit and peace

 
श्रीमद्भगवद्गीता मूलम्” (Shrimad Bhagavad Gita Moolam) का अर्थ होता है — श्रीमद्भगवद्गीता का मूल रूप”
यह ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व का एक हिस्सा है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्धभूमि में उपदेश दिया था।

संक्षिप्त विवरण हिंदी में:

श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म का अत्यंत पवित्र और प्रेरणादायक ग्रंथ है। इसमें 700 श्लोक हैं, जो जीवन, कर्म, धर्म, भक्ति, ज्ञान और मोक्ष के गहन रहस्यों को उजागर करते हैं।
अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में मोहग्रस्त होकर शस्त्र छोड़ बैठते हैं, तब भगवान श्रीकृष्ण उन्हें जीवन का असली उद्देश्य, आत्मा की अमरता, और निष्काम कर्म का उपदेश देते हैं।

मुख्य विषय:

  • कर्मयोग (कर्म करते हुए फल की इच्छा न करना)

  • ज्ञानयोग (आत्मा व परमात्मा का ज्ञान)

  • भक्ति योग (ईश्वर में पूर्ण समर्पण)

  • अध्यात्म और प्रकृति का भेद

  • आत्मा की अमरता और पुनर्जन्म का सिद्धांत

  • धर्म के प्रति कर्तव्य

“मूलम्” शब्द का अर्थ है “मूल श्लोक” — यानी संस्कृत के शुद्ध श्लोक बिना किसी टीका (व्याख्या) या भाष्य (टिप्पणी) के।
“श्रीमद्भगवद्गीता मूलम् ग्रंथ में केवल भगवद्गीता के संस्कृत श्लोक दिए होते हैं, जिनमें भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य वाणी मूल रूप में संकलित है।

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