Description
ब्रज की खिचड़ी — कुछ अटपटा नाम है , लेकिन चटपटा स्वाद !रस और अध्यात्म से भरपूर।यह ग्रन्थ रचित है दासभास श्री गिरिराज नांगिया जी द्वारा। कैसे पकी यह खिचड़ी :अनेक पदार्थों के सम्मिश्रण को कहते हैं खिचड़ी। उसी खिचड़ी के गुणों को सार्थक करता है यह ग्रन्थ । इस ग्रन्थ में वैष्णव आधार को, वैष्णव भक्ति को सुदृढ़ करने के अनेक मार्ग हैं , अर्थात इस ग्रन्थ में उन छोटी – छोटी बातों का समावेश है , जिनका ज्ञान प्रत्येक वैष्णव को होना अनिवार्य है। पाठकगण भी बड़े – बड़े निबंधों को पढ़ने कीे बजाए , सार में अधिक रूचि लेते हैं । इस ग्रन्थ में छोटी – छोटी चीजों का उल्लेख करके वैष्णव आधार को दृढ़ करने का प्रयास किया गया है।आशा है , हमारा यह प्रयास अवश्य ही आप सभी के ह्रदय में ज्ञान को प्रकाशित कर आपको भक्ति मार्ग की और अग्रसर करेगा।
Additional information
Weight | 0.3 kg |
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