Description
इन लेखों में प्रेम के वास्तविक स्वरूप और उसकी प्राप्ति के विविध साधनों का वर्णन तो है ही, साथ ही श्रद्धा और प्रेम, प्रेम और शरणागति, प्रेम और समता, भगवत्प्रेम और भगवत्-सुहृदताका तत्त्व भी भलीभाँति समझाया गया है।
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