श्री मार्कण्डेय पुराणShree Markandeya Puran

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मार्कण्डेय पुराण प्राचीनतम पुराणों में से एक है। यह लोकप्रिय पुराण मार्कण्डेय ऋषि ने क्रौष्ठि को सुनाया था। इसमें ऋग्वेद की भांति अग्नि, इन्द्र, सूर्य आदि देवताओं पर विवेचन है और गृहस्थाश्रम, दिनचर्या, नित्यकर्म आदि की चर्चा है। भगवती की विस्तृत महिमा का परिचय देने वाले इस पुराण में दुर्गासप्तशती की कथा एवं माहात्म्य, हरिश्चन्द्र की कथा, मदालसा-चरित्रअत्रि-अनसूया की कथा, दत्तात्रेय-चरित्र आदि अनेक सुन्दर कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसका प्रधान कारण है की इसके भीतर १३ अध्यायों में (८१अ०-९२अ०) देवी महात्म्य का प्रतिपादक बड़ा ही महनीय अंश है,जिसमे देवी के त्रिविध रूप- महाकाली,महालक्ष्मी तथा महासरस्वती के चरित्र का वर्णन बड़े ही विस्तार से किया गया है।

इस पुराण के अन्दर पक्षियों को प्रवचन का अधिकारी बनाकर उनके द्वारा सब धर्मों का निरूपण किया गया है। मार्कण्डेय पुराण में पहले मार्कण्डेयजी के समीप जैमिनि का प्रवचन है। फ़िर धर्म संज्ञम पक्षियों की कथा कही गयी है। फ़िर उनके पूर्व जन्म की कथा और देवराज इन्द्र के कारण उन्हें शापरूप विकार की प्राप्ति का कथन है

Description

मार्कण्डेय पुराण प्राचीनतम पुराणों में से एक है। यह लोकप्रिय पुराण मार्कण्डेय ऋषि ने क्रौष्ठि को सुनाया था। इसमें ऋग्वेद की भांति अग्नि, इन्द्र, सूर्य आदि देवताओं पर विवेचन है और गृहस्थाश्रम, दिनचर्या, नित्यकर्म आदि की चर्चा है। भगवती की विस्तृत महिमा का परिचय देने वाले इस पुराण में दुर्गासप्तशती की कथा एवं माहात्म्य, हरिश्चन्द्र की कथा, मदालसा-चरित्रअत्रि-अनसूया की कथा, दत्तात्रेय-चरित्र आदि अनेक सुन्दर कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसका प्रधान कारण है की इसके भीतर १३ अध्यायों में (८१अ०-९२अ०) देवी महात्म्य का प्रतिपादक बड़ा ही महनीय अंश है,जिसमे देवी के त्रिविध रूप- महाकाली,महालक्ष्मी तथा महासरस्वती के चरित्र का वर्णन बड़े ही विस्तार से किया गया है।

इस पुराण के अन्दर पक्षियों को प्रवचन का अधिकारी बनाकर उनके द्वारा सब धर्मों का निरूपण किया गया है। मार्कण्डेय पुराण में पहले मार्कण्डेयजी के समीप जैमिनि का प्रवचन है। फ़िर धर्म संज्ञम पक्षियों की कथा कही गयी है। फ़िर उनके पूर्व जन्म की कथा और देवराज इन्द्र के कारण उन्हें शापरूप विकार की प्राप्ति का कथन है

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