शीघ्र बोध/ Shighra Bodh

130.00

शीघ्र बोध, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें ज्योतिष शास्त्र के बारे में बताया गया है। वेद ज्ञान का भंडार है। ऋषियों के अनुसार वेदांग छह है – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द एवं ज्योतिष। वेद को मानव आकृति मानकर व्याकरण को मुख, निरुक्त को क्षोत्र (कान), कल्प को हाथ, शिक्षा को नासिका, छन्द को पैर और ज्योतिष को नेत्र कहा गया है। अतः स्पष्ट है की ज्योतिष वेद का महत्वपूर्ण अंग है क्योकि नेत्रों से ही जगत के समस्त पदार्थो की प्रतीति और अनुभूति होती है ज्योतिष में काल की पूर्ण व्याख्या होती है। समय बलवान है और किसी के वश में नही आता है, वह तो निरंतर अपने पद पर चिन्ह छोड़ता जाता है। वस्तुतः ज्योतिष का ज्ञान होना अत्यावश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति शुभा शुभ का पूर्वाभास चाहता है। यह तभी हो सकता है, जब आप समय की गति को पहचान लेंगे। समय की गति को पहचानने के लिए ज्योतिष का ज्ञान होना आवश्यक है। ज्योतिष शास्त्र के सर्वोत्तम ज्ञान के लिए आपको शीघ्र बोध: नामक इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।

शीघ्र बोध: नामक पुस्तक अत्यंत प्राचीन नही है, यह ग्रन्थ इसी शताब्दी में ५६७ श्लोको में संग्रहित किया हुआ है। इस पुस्तक में एक विशेष बात यह है की इस पुस्तक में एक स्थान पर ज्योतिष के विभिन्न तथ्यों को संग्रहित किया गया है जिससे यह जन उपयोगी बन सके। बाजार में अनेकानेक पुस्तक शीघ्र बोध: के नाम से उपलब्ध है। लेकिन इस पुस्तक को नए परिवेश में पूर्णतः उपयोगी बनाने के लिए इसमें टिप्पणी और उदाहरण देकर इसके विषय को स्पष्ट करने का पूर्ण प्रयास किया गया है।

Description

शीघ्र बोध, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें ज्योतिष शास्त्र के बारे में बताया गया है। वेद ज्ञान का भंडार है। ऋषियों के अनुसार वेदांग छह है – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द एवं ज्योतिष। वेद को मानव आकृति मानकर व्याकरण को मुख, निरुक्त को क्षोत्र (कान), कल्प को हाथ, शिक्षा को नासिका, छन्द को पैर और ज्योतिष को नेत्र कहा गया है। अतः स्पष्ट है की ज्योतिष वेद का महत्वपूर्ण अंग है क्योकि नेत्रों से ही जगत के समस्त पदार्थो की प्रतीति और अनुभूति होती है ज्योतिष में काल की पूर्ण व्याख्या होती है। समय बलवान है और किसी के वश में नही आता है, वह तो निरंतर अपने पद पर चिन्ह छोड़ता जाता है। वस्तुतः ज्योतिष का ज्ञान होना अत्यावश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति शुभा शुभ का पूर्वाभास चाहता है। यह तभी हो सकता है, जब आप समय की गति को पहचान लेंगे। समय की गति को पहचानने के लिए ज्योतिष का ज्ञान होना आवश्यक है। ज्योतिष शास्त्र के सर्वोत्तम ज्ञान के लिए आपको शीघ्र बोध: नामक इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।

शीघ्र बोध: नामक पुस्तक अत्यंत प्राचीन नही है, यह ग्रन्थ इसी शताब्दी में ५६७ श्लोको में संग्रहित किया हुआ है। इस पुस्तक में एक विशेष बात यह है की इस पुस्तक में एक स्थान पर ज्योतिष के विभिन्न तथ्यों को संग्रहित किया गया है जिससे यह जन उपयोगी बन सके। बाजार में अनेकानेक पुस्तक शीघ्र बोध: के नाम से उपलब्ध है। लेकिन इस पुस्तक को नए परिवेश में पूर्णतः उपयोगी बनाने के लिए इसमें टिप्पणी और उदाहरण देकर इसके विषय को स्पष्ट करने का पूर्ण प्रयास किया गया है।

Additional information

Weight 0.3 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “शीघ्र बोध/ Shighra Bodh”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products