Description
भाईजी (श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार) के व्यक्तिगत पत्रोंके (जो ‘कामके पत्र’ शीर्षकसे ‘कल्याण’ में प्रकाशित होते हैं और जिनको लोग बड़ी उत्सुकता से पढ़ते हैं) तीन भाग पाठकों की सेवामें जा चुके हैं।तीसरा भाग अभी कुछ ही दिनों पूर्व प्रकाशित हुआ आ । पुस्तकका आकार बहुत बड़ा न हो इसीलिये इस चौथे भागको अलग छापा है । पाँचवें भाग के भी शीघ्र प्रकाशित होने की आशा है ।
पूर्व प्रकाशित संग्रहों की भांति इसमें भी पारमार्थिक एवं लौकिक समस्याओं का अत्यन्त सरल और अनूठे ढंगसे विशद समाधान किया गया है । आजकल जब कि जीवनमें दुःख, दुराशा, द्वेष और दुराचार बढ़ता जा रहा है तथा सदाचार विरोधी प्रवृत्तियों से मार्ग तमसाच्छन्न हो रहा है, तब सच्चे सुख-शान्ति का पथ प्रदर्शन करने वाले इन स्नेहापूरित उज्वल ज्योति दीपकों की उपयोगिता का मूल्य आँका नहीं जा सकता ।
पहले के भागों से परिचित पाठकों से तो इनकी उपयोगिता के विषय में कुछ कहना ही नहीं है । पुस्तक आपके सामने ही है । हाथ कंगन को आरसी क्या?
Additional information
Weight | 0.3 g |
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