Description
लीला-रस-तरङ्गिणी /Leela-Ras-Tarangini (Set of 5 books)
कृपाकांक्षी: भक्ति विजय
श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है। रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है, स्थायी भाव होता है। रस , छंद और अलंकार- काव्य रचना के आवश्यक अवयव हैं।
रस का शाब्दिक अर्थ है – आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है, वह ही काव्य का रस है। काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। संस्कृत में कहा गया है कि “रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्” अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
Additional information
Weight | 0.6 g |
---|
Related products
Original price was: ₹120.00.₹90.00Current price is: ₹90.00.
25% Off
Original price was: ₹150.00.₹120.00Current price is: ₹120.00.
20% Off
Original price was: ₹140.00.₹100.00Current price is: ₹100.00.
29% Off
Reviews
There are no reviews yet.