Description
“लक्ष्य अब दूर नहीं!“ पुस्तक, पूज्य स्वामी श्रीरामसुखदास जी महाराज के गहन, सरल और हृदयस्पर्शी प्रवचनों का सार-संग्रह है। यह पुस्तक पाठकों को आत्म-उन्नयन, भगवद्भक्ति और जीवन के परम लक्ष्य—मोक्ष की ओर प्रेरित करती है।
इस पुस्तक में स्वामीजी ने यह स्पष्ट किया है कि जीवन का लक्ष्य कोई दूर की बात नहीं है, बल्कि एक सहज, सरल एवं निकट उपलब्ध अनुभव है — बशर्ते मनुष्य उसे पाने का दृढ़ निश्चय कर ले।
स्वामीजी के प्रवचनों की विशेषता यह है कि वे व्यवहारिक जीवन की समस्याओं को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखते हैं और आम जन के लिए भी गूढ़ विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करते हैं। यह पुस्तक उसी शैली का सजीव उदाहर
मुख्य विषयवस्तु:
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जीवन का वास्तविक लक्ष्य क्या है?
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आत्मज्ञान और ईश्वरप्राप्ति के सरल मार्ग
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संसार में रहते हुए वैराग्य की भावना
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भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का महत्व
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आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाने वाली साधनाएँ
🌿 पुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ:
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जीवन के लक्ष्य की स्पष्टता:
स्वामीजी समझाते हैं कि हमारा जीवन केवल सांसारिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका एक परम लक्ष्य है — आत्मसाक्षात्कार और ईश्वरप्राप्ति। यह लक्ष्य कोई दूर या कठिन नहीं, बल्कि हमारे निकट ही है। -
आध्यात्मिक मार्ग का सरल विवेचन:
इस पुस्तक में यह बताया गया है कि केवल विद्वानों या संन्यासियों के लिए ही नहीं, बल्कि हर साधारण गृहस्थ के लिए भी ईश्वर प्राप्ति संभव है — केवल श्रद्धा, प्रेम और समर्पण चाहिए। -
व्यवहारिक जीवन से जुड़ी सीख:
सांसारिक कर्तव्यों में रमे हुए व्यक्ति भी आध्यात्मिक उन्नति कर सकते हैं — यही इस पुस्तक की मूल प्रेरणा है। यह “त्यागो नहीं, योग करो” की भावना को उजागर करती है। -
सारगर्भित भाषा, सरल शैली:
स्वामीजी के प्रवचन कठिन संस्कृत या दार्शनिक भाषा में नहीं हैं, बल्कि वे आमजन की भाषा में इतने सहज और प्रभावशाली हैं कि पाठक को ऐसा लगेगा जैसे गुरु साक्षात सामने बैठकर उपदेश दे रहे हों।
🧘♂️ प्रेरणादायक विषयवस्तु:
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आत्मा और परमात्मा का सम्बन्ध
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स्वधर्म, परोपकार और साधना
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मन, बुद्धि और अहंकार का शमन
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नाम-स्मरण, सत्संग और ध्यान की महिमा
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संसार में रहकर भी विरक्ति का भाव
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कर्तव्य पालन के साथ आध्यात्मिक जागरण
📚 पाठकों के लिए उपयोगिता:
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आध्यात्मिक जिज्ञासुओं को दिशा प्रदान करती है
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गृहस्थ जीवन में संतुलन और साधना सिखाती है
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मानसिक शांति और आत्मबल को बढ़ाती है
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परमात्मा की ओर यात्रा को सरल बनाती है
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जीवन की उलझनों में स्पष्टता और समाधान देती है
🪔 उपसंहार:
“लक्ष्य अब दूर नहीं!“ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि यह आत्मा की जागृति और परमात्मा की ओर बढ़ते पगों की पुकार है। स्वामी श्रीरामसुखदास जी के अमृतवाणी स्वरूप ये वाक्य जीवन की अंधकारमयी राह में दीपक का कार्य करते हैं। यह पुस्तक बार-बार पढ़ने योग्य है, क्योंकि हर बार यह कुछ नया उद्घाटित करती है।
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Additional information
Weight | 0.1 g |
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