माण्डूक्योपनिषद्/ Mandukyo Upanissad

70.00

माण्डूक्योपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचयिता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है। इसमें आत्मा या चेतना के चार अवस्थाओं का वर्णन मिलता है – जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय।

अथर्ववेदीय ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित इस उपनिषद में केवल बारह मन्त्र हैं। कलेवर की दृष्टिसे छोटी होने पर भी भगवान् गौणपादाचार्य ने इस पर कारिकाएँ लिखकर इसे अद्वैतवाद की आधारशिला बना दिया है। शांकरभाष्य, हिन्दी अनुवादसहित।

Description

माण्डूक्योपनिषद अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचयिता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है। इसमें आत्मा या चेतना के चार अवस्थाओं का वर्णन मिलता है – जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय।

अथर्ववेदीय ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित इस उपनिषद में केवल बारह मन्त्र हैं। कलेवर की दृष्टिसे छोटी होने पर भी भगवान् गौणपादाचार्य ने इस पर कारिकाएँ लिखकर इसे अद्वैतवाद की आधारशिला बना दिया है। शांकरभाष्य, हिन्दी अनुवादसहित।

Additional information

Weight 0.2 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “माण्डूक्योपनिषद्/ Mandukyo Upanissad”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related products