Description
यद्यपि हम सर्वोच्च ईश्वर के अंश हैं, यह अंश किसी भी तरह से अपने मूल-परमेश्वर से अलग नहीं हो सकता है; फिर भी हम सर्वोच्च ईश्वर को अपना मानकर उसके प्रति उदासीनता बोते हैं। साधकों के मन में ईश्वर में दृढ़ विश्वास जगाने के लिए स्वामी रामसुखदास ने कुछ आध्यात्मिक प्रवचन दिए हैं। प्रस्तुत पुस्तक वास्तव में उन्हीं प्रवचनों का संग्रह है।
Additional information
Weight | 0.3 g |
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