भक्त नरसिंह मेहता/ Bhakt Narasingh Mehta

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नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में “नरसिंह-मीरा-युग” नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है।

इस पुस्तक में गुजरात के प्रसिद्ध भक्त श्री नरसिंह मेहता के चरित्र-चित्रण में उनके जीवन की अद्भुत घटनाओं का बड़ा ही भावात्मक वर्णन किया गया है। पुस्तक 20 अध्यायों में विभक्त की गयी है जिसमें नरसिंह मेहता पर महात्मा की कृपा, कुटुम्ब-विस्तार, शिव-अनुग्रह, रासदर्शन, अनन्याश्रय, कुँवरबाई का दहेज, भक्त और भगवान्, अन्तिम अवस्था आदि महत्वपूर्ण विषय हैं। भगवान के द्वारा भक्त के योग-क्षेम-वहन का नरसिंह मेहता जैसा अद्भुत चरित्र और कोई नहीं मिलता। 

🌟 विशेषताएं:

  1. भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त:
    नरसिंह मेहता का जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति में पूर्णतः समर्पित था। कहते हैं कि उन्होंने स्वयं भगवान कृष्ण के रासलीला दर्शन किए थे।

  2. भक्ति और काव्य का संगम:
    उन्होंने सरल गुजराती भाषा में पद, भजन और काव्य रचे, जिनमें श्रीकृष्ण की लीलाओं और भक्ति की महिमा का वर्णन है।

  3. ‘Vaishnav Jan To’ भजन:
    उनका रचित प्रसिद्ध भजन “Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je, Peed Parayi Jaane Re…” महात्मा गांधी के जीवन का आदर्श बना। यह भजन आज भी देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

  4. जाति-भेद का विरोध:
    नरसिंह मेहता ने सामाजिक भेदभाव, विशेषकर ऊँच-नीच की भावना, का विरोध किया। वे हर वर्ग के लोगों को भगवान का भक्त मानते थे।


💡 प्रेरणादायक घटनाएं:

  • रासलीला दर्शन की कथा:
    एक बार नरसिंह मेहता गुफा में साधना कर रहे थे। वहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और रासलीला में सम्मिलित किया। जब वे बाहर आए, तो उन्हें लगा कि कई दिन बीत चुके हैं, जबकि उन्हें लगा था कि कुछ ही समय हुआ था।

  • ईश्वर कृपा से विवाह खर्च:
    उनकी बेटी का विवाह निर्धनता के कारण कठिन हो रहा था। पर भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं एक ब्राह्मण के रूप में आकर सभी खर्च पूरे किए।

Description

नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में “नरसिंह-मीरा-युग” नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है।

इस पुस्तक में गुजरात के प्रसिद्ध भक्त श्री नरसिंह मेहता के चरित्र-चित्रण में उनके जीवन की अद्भुत घटनाओं का बड़ा ही भावात्मक वर्णन किया गया है। पुस्तक 20 अध्यायों में विभक्त की गयी है जिसमें नरसिंह मेहता पर महात्मा की कृपा, कुटुम्ब-विस्तार, शिव-अनुग्रह, रासदर्शन, अनन्याश्रय, कुँवरबाई का दहेज, भक्त और भगवान्, अन्तिम अवस्था आदि महत्वपूर्ण विषय हैं। भगवान के द्वारा भक्त के योग-क्षेम-वहन का नरसिंह मेहता जैसा अद्भुत चरित्र और कोई नहीं मिलता। 

🌟 विशेषताएं:

  1. भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त:
    नरसिंह मेहता का जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति में पूर्णतः समर्पित था। कहते हैं कि उन्होंने स्वयं भगवान कृष्ण के रासलीला दर्शन किए थे।

  2. भक्ति और काव्य का संगम:
    उन्होंने सरल गुजराती भाषा में पद, भजन और काव्य रचे, जिनमें श्रीकृष्ण की लीलाओं और भक्ति की महिमा का वर्णन है।

  3. ‘Vaishnav Jan To’ भजन:
    उनका रचित प्रसिद्ध भजन “Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je, Peed Parayi Jaane Re…” महात्मा गांधी के जीवन का आदर्श बना। यह भजन आज भी देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

  4. जाति-भेद का विरोध:
    नरसिंह मेहता ने सामाजिक भेदभाव, विशेषकर ऊँच-नीच की भावना, का विरोध किया। वे हर वर्ग के लोगों को भगवान का भक्त मानते थे।


💡 प्रेरणादायक घटनाएं:

  • रासलीला दर्शन की कथा:
    एक बार नरसिंह मेहता गुफा में साधना कर रहे थे। वहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और रासलीला में सम्मिलित किया। जब वे बाहर आए, तो उन्हें लगा कि कई दिन बीत चुके हैं, जबकि उन्हें लगा था कि कुछ ही समय हुआ था।

  • ईश्वर कृपा से विवाह खर्च:
    उनकी बेटी का विवाह निर्धनता के कारण कठिन हो रहा था। पर भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं एक ब्राह्मण के रूप में आकर सभी खर्च पूरे किए।

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