बालकों के कर्तव्य/ Balakon ke Kartavya

18.00

बालकों को शिष्टाचार, स्वाध्याय और सेवा की शिक्षा प्रदान करने वाली एक अद्भुत पुस्तक।

अनुशासन का आधार प्रेम तथा कोमलता होना चाहिए न कि कठोरता, क्रूरता, क्रोध एवं अहंकार। हमारा ध्येय बच्चों को सुधारना नहीं, बनाना है और बच्चे प्रेम और प्रोत्साहन से बनते हैं न कि मार पीट से। बच्चों को बुरी आदतों से बचाने के लिए स्वयं आदर्श बनें।

Description

बालकों को शिष्टाचार, स्वाध्याय और सेवा की शिक्षा प्रदान करने वाली एक अद्भुत पुस्तक।

अनुशासन का आधार प्रेम तथा कोमलता होना चाहिए न कि कठोरता, क्रूरता, क्रोध एवं अहंकार। हमारा ध्येय बच्चों को सुधारना नहीं, बनाना है और बच्चे प्रेम और प्रोत्साहन से बनते हैं न कि मार पीट से। बच्चों को बुरी आदतों से बचाने के लिए स्वयं आदर्श बनें।

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